रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के साथ सीमा पर तनाव कम करने और राजनयिक रिश्ते सुधारने के लिए एक चार-बिंदुीय योजना का प्रस्ताव दिया। यह बातचीत शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून से क़िंगदाओ में द्विपक्षीय मुलाकात में हुई।
सूत्रों के मुताबिक इस चार-बिंदुीय योजना में शामिल हैं:
- 2024 विसंगति (डिसएंगेजमेंट) योजना का पालन
- तनाव कम करने के प्रयास जारी रखना
- सीमा निर्धारण और सीमांकन (डेमार्केशन और डिलिमिटेशन) के लक्ष्यों को तेज़ी से हासिल करना
- विशेष प्रतिनिधि स्तर की मौजूदा प्रक्रिया का इस्तेमाल कर मतभेदों के प्रबंधन और रिश्तों में सुधार के लिए नई रूपरेखा तैयार करना
मुलाकात के दौरान राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा भी उठाया और कहा कि इस पर भारत का “ऑपरेशन सिंदूर” अब उसकी सैद्धांतिक स्थिति है।
बैठक के बाद एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा की गई तस्वीर के साथ रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत और चीन दोनों को राजनयिक संबंधों में “सकारात्मक गति” बनाए रखनी चाहिए। उन्होंने करीब छह साल बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू होने पर भी खुशी जाहिर की।
सिंह ने पोस्ट किया, “क़िंगदाओ में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक के मौके पर चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून के साथ वार्ता की। द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े मुद्दों पर रचनात्मक और भविष्यमुखी विचार-विमर्श हुआ। करीब छह साल बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा के पुनः आरंभ पर खुशी व्यक्त की। दोनों देशों के लिए यह जरूरी है कि इस सकारात्मक गति को बनाए रखें और द्विपक्षीय रिश्तों में नई जटिलताएं न जोड़ें।”
राजनाथ सिंह ने चीनी रक्षा मंत्री को बिहार की पारंपरिक मधुबनी पेंटिंग भी भेंट की, जो मिथिला क्षेत्र की विशिष्ट रेखांकन शैली और चमकीले रंगों के लिए जानी जाती है।
चीन की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक भारत टकराव नहीं चाहता और संवाद व आपसी विश्वास बढ़ा रहा है। हालांकि, भारत सरकार की ओर से इस बैठक पर कोई आधिकारिक बयान अब तक जारी नहीं हुआ है।
यह मुलाकात ऐसे समय हुई है जब राजनाथ सिंह ने एससीओ के उस दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था, जिससे भारत की आतंकवाद के खिलाफ स्थिति कमजोर पड़ सकती थी। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, दस्तावेज़ में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों द्वारा अनंतनाग (पहलगाम) में 26 लोगों की हत्या की घटना का कोई जिक्र नहीं था। रिपोर्ट में कहा गया कि एससीओ की अध्यक्षता कर रहे चीन और उसका करीबी सहयोगी पाकिस्तान दस्तावेज़ में आतंकवाद के मुद्दे से ध्यान भटकाना चाहते थे, जबकि इसमें बलूचिस्तान का संदर्भ देकर भारत पर परोक्ष आरोप लगाए गए।
इस सप्ताह भारत-चीन बातचीत पर खास ध्यान रहा क्योंकि यह पूर्वी लद्दाख में मई 2020 से जारी सैन्य गतिरोध के बाद दोनों देशों के बीच 2024 की डिसएंगेजमेंट डील के बाद पहली हाई-लेवल मुलाकात थी। साथ ही यह पिछले महीने के “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद भी पहली द्विपक्षीय रक्षा मंत्रिस्तरीय बातचीत रही।
भारत लगातार सीमा पर शांति बनाए रखने की बात करता रहा है और दोनों पक्ष हालिया सुधरते रिश्तों को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। यह संदेश तब और मजबूत हुआ जब पिछले साल अक्टूबर में रूस में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ऐतिहासिक मुलाकात हुई।
प्रधानमंत्री मोदी ने उस समय कहा था, “हम मानते हैं कि भारत-चीन संबंध न केवल हमारे लोगों के लिए बल्कि वैश्विक शांति, स्थिरता और प्रगति के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण हैं।”
यह बैठक ऐसे समय हुई जब भारत और चीन ने देपसांग और डेमचोक इलाकों के लिए विसंगति समझौते को अंतिम रूप देने के दो दिन बाद ही यह बातचीत की।
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