भारतीयों के फास्ट फूड में खाने की पसंद की बात की जाए तो यहां हर गली के कोने पर एक भेल या समोसा विक्रेता की दुकान जरूर मिल जाएगी। इनमें से कई बर्गर, पिज्जा, चिकन और अन्य चीजें भी परोसते हैं, साथी ही वे देसी व्यंजनों को शामिल करते हुए फास्टफूड की संख्या तेजी से बढ़ा रहे हैं।
एसोचैम की एक हालिया रिपोर्ट ‘इंडियन कुज़ीन ऐट क्रॉसरोड्स’ भारतीय पारंपरिक और आधुनिक भोजन का आकलन कैलोरी मान से परे जाकर करती है – उदाहरण के लिए यह बर्गर (burgers) के साथ समोसे (samosas) की तुलना करती है।
एक समोसा रिफाइंड आटे या मैदा से बना होता है और वनस्पति तेल में तला जाता है, इसमें जीरा, उबले हुए आलू, मटर, नमक, मिर्च और मसाले जैसी ताज़ी सामग्री भी होती है। हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि ये सामग्रियां बर्गर की तुलना में स्वास्थ्यवर्धक हैं।
एसोचैम कहते हैं, दूसरी ओर एक बर्गर में प्रिजरवेटिव, एसिडिटी रेगुलेटर, इमल्सीफायर, इम्प्रूवर और एंटीऑक्सीडेंट के साथ-साथ रिफाइंड गेहूं का आटा, चीनी, गेहूं का ग्लूटेन, खाद्य वनस्पति तेल, खमीर, नमक, सोया का आटा, तिल के बीज, सब्जियां, मेयोनेज़ और पनीर या आलू की पैटी होता है।
तुलनात्मक रूप से, यह निष्कर्ष निकालता है कि कैलोरी से भरपूर समोसे एक बेहतर विकल्प हैं क्योंकि उनमें रसायनों की कमी होती है।रिपोर्ट में कहा गया है, “पारंपरिक भारतीय खाद्य पदार्थों के विपरीत, जो आम तौर पर ताजा, गैर-पारंपरिक खाद्य पदार्थ तैयार किए जाते हैं, प्रिजर्वेटिव्स और एडिटिव्स का उपयोग करते हैं, जो उन्हें बहुत अस्वास्थ्यकर बनाते हैं।”
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