नई दिल्ली/कोलंबिया — कांग्रेस सांसद शशि थरूर, जो इन दिनों पांच देशों के दौरे पर बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, ने शुक्रवार को कोलंबिया सरकार द्वारा पाकिस्तान में मारे गए लोगों के लिए व्यक्त की गई संवेदना पर निराशा जताई। यह संवेदना भारत द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद दी गई थी। थरूर ने स्पष्ट किया कि आतंकियों और अपनी मातृभूमि की रक्षा करने वालों के बीच कोई नैतिक समानता नहीं हो सकती।
थरूर ने कोलंबिया में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “हमें कोलंबिया सरकार की प्रतिक्रिया से थोड़ी निराशा हुई, जिन्होंने भारतीय हमलों के बाद पाकिस्तान में हुई मौतों पर हार्दिक संवेदना व्यक्त की, बजाय इसके कि आतंकवाद के शिकार लोगों के प्रति सहानुभूति दिखाई जाती। हम अपने कोलंबियाई मित्रों से कहना चाहते हैं कि जो आतंकियों को भेजते हैं और जो उनका सामना करते हैं, उनके बीच कोई समानता नहीं हो सकती। जो हमला करते हैं और जो अपनी रक्षा करते हैं, उनके बीच कोई बराबरी नहीं हो सकती। हम सिर्फ आत्मरक्षा का अधिकार इस्तेमाल कर रहे हैं, और अगर इस विषय पर कोई गलतफहमी है, तो हम उसे दूर करने के लिए यहां हैं।”
थरूर ने जोर देकर कहा कि भारत की कार्रवाई जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले के जवाब में वैध आत्मरक्षा थी। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान आधारित संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के सहयोगी द रेजिस्टेंस फ्रंट ने ली थी।
थरूर ने कहा,
जैसे कोलंबिया ने कई आतंकी हमलों का सामना किया है, वैसे ही भारत ने भी। हम पिछले चार दशकों से लगातार हमलों का सामना कर रहे हैं। हम यहां समझ बनाने के लिए आए हैं। हमें लगता है कि शायद जब वह बयान (पाकिस्तान में हुई मौतों पर कोलंबिया द्वारा संवेदना व्यक्त करना) जारी किया गया, तब स्थिति को पूरी तरह नहीं समझा गया। समझदारी हमारे लिए बेहद अहम है। भारत हमेशा दुनिया में रचनात्मक प्रगति की ताकत रहा है।
उन्होंने आगे कहा, “हम निश्चित रूप से उम्मीद करते हैं कि अन्य सरकारें उन देशों से कहेंगी जो आतंकियों को शरण और संरक्षण देते हैं, कि वे ऐसा करना बंद करें। यह सुरक्षा परिषद में हो या उसके बाहर, हमारे लिए बहुत सहायक होगा।”
अमेरिकी मध्यस्थता के दावे पर शशि थरूर का जवाब
हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव को लेकर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की अटकलों को खारिज करते हुए थरूर ने साफ कहा कि भारत की ओर से ऐसी कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई।
उन्होंने कहा,
हमें अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों और फ्रांस, यूएई, सऊदी अरब जैसे देशों के वरिष्ठ अधिकारियों से कई फोन कॉल आए। और हमने इन सभी देशों को एक ही संदेश दिया — हमें युद्ध में कोई दिलचस्पी नहीं है। हम सिर्फ आतंकी हमले का बदला ले रहे थे। अगर वे रुकते हैं, तो हम भी रुकते हैं।
थरूर ने आगे कहा,
हमारी जानकारी में कोई सक्रिय मध्यस्थता की प्रक्रिया नहीं थी, निश्चित ही कोई ऐसी प्रक्रिया नहीं जिसमें हम शामिल हों। क्योंकि पहले ही दिन, जब 7 मई की रात को आतंकवाद विरोधी हमले किए गए, हमारा कभी कोई युद्ध शुरू करने का इरादा नहीं था। इस पूरी स्थिति में हम आक्रामक पक्ष नहीं हैं।
प्रतिनिधिमंडल का मकसद
थरूर वर्तमान में गयाना, पनामा, कोलंबिया, ब्राज़ील और अमेरिका के दौरे पर बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। उनका उद्देश्य पाकिस्तान के आतंकवाद से जुड़े रिश्तों को उजागर करना है, जिसमें अमेरिका पर हुए 9/11 हमलों में पाकिस्तान की भूमिका भी शामिल है। थरूर का कहना है कि हालिया संघर्ष की वजह ऑपरेशन सिंदूर नहीं, बल्कि पहलगाम आतंकी हमला था।