नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अहमदाबाद में हुए कथित अनैतिक और अवैध क्लिनिकल ट्रायल के मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह आदेश स्वास्थ्य अधिकार मंच द्वारा दायर जनहित याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान दिया गया।
याचिका में कहा गया है कि बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियां देश के गरीब और कमजोर वर्गों के लोगों को कानूनी सुरक्षा के बिना क्लिनिकल परीक्षणों में शामिल कर रही हैं। इन परीक्षणों में प्रतिभागियों को नाममात्र की राशि (200 से 500 रुपये) दी जाती है, जबकि फार्मा कंपनियां, जाँचकर्ता और संबंधित संस्थान इससे भारी मुनाफा कमाते हैं। गंभीर प्रतिकूल प्रभाव (SAE) या मृत्यु के मामलों में प्रतिभागियों को कोई उचित मुआवज़ा नहीं मिलता।
याचिकाकर्ता के अनुसार, वर्ष 2005 से 2020 के बीच भारत में कुल 34,390 क्लिनिकल ट्रायल मामलों की जानकारी सामने आई है, जिनमें 6,500 मौतें और 27,890 गंभीर प्रतिकूल प्रभाव शामिल हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने अदालत को बताया कि अहमदाबाद नगर निगम द्वारा संचालित एक सार्वजनिक अस्पताल में वर्ष 2021 से अब तक 58 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दवा कंपनियों ने लगभग 500 रोगियों पर बिना किसी नैतिक समिति की अनुमति के क्लिनिकल ट्रायल किए हैं। यह नई औषधि और क्लिनिकल ट्रायल नियम, 2019 का उल्लंघन है। याचिका में यह भी कहा गया कि निजी कंपनियों ने संबंधित डॉक्टरों के निजी खातों में 17 से 20 करोड़ रुपये तक की राशि जमा की।
सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार को निर्देश दिया है कि वह याचिकाकर्ता द्वारा 23 अप्रैल 2025 को दाखिल शपथपत्र पर विस्तृत जवाब दे, जिसमें गुजरात सहित अन्य राज्यों में हुए अवैध क्लिनिकल ट्रायल से जुड़ी घटनाओं का उल्लेख किया गया है।
अन्य राज्यों की घटनाएं भी आईं सामने
स्वास्थ्य अधिकार मंच के अमूल्य निधि ने कहा कि संगठन जन स्वास्थ्य अभियान भारत, राजस्थान नागरिक मंच, ड्रग ट्रायल पीड़ित संघ, भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन और अन्य सहयोगी संस्थाओं के साथ मिलकर देशभर में अवैध क्लिनिकल ट्रायल के मामलों को उजागर करता रहेगा।
गुजरात इकाई के जगदीश पटेल ने बताया कि उन्होंने पहले ही गुजरात सरकार को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर चिंता जाहिर की थी। एन.डी. जयप्रकाश ने बताया कि भोपाल गैस त्रासदी से बचे लोगों पर भी ऐसे ट्रायल किए गए, जिनमें कई मौतें और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हुईं।
इसी तरह इंदौर में भी कुछ डॉक्टरों ने अवैध परीक्षणों के ज़रिए पाँच करोड़ रुपये से अधिक कमाए, जबकि 81 मामलों में मौतें या गंभीर असर देखे गए। राजस्थान नागरिक मंच के अनिल गोस्वामी, सोहन लाल और बसंत हरियाणा ने बताया कि राज्य में 213 ट्रायल में से 95 में मौतें हुईं, और 2018 में जयपुर में भी अवैध परीक्षण हुए।
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