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सूरत के 7 लाख हीरा कारीगरों के लिए सरकार ने खोला खजाना, लेकिन मज़दूर संघ को मीटिंग से क्यों रखा बाहर?

| Updated: May 30, 2025 13:58

सूरत में हीरा उद्योग राहत पैकेज लागू करने के लिए हुई अहम बैठक, लेकिन बेरोजगार पॉलिशरों के प्रतिनिधि बैठक से वंचित

सूरत के जिलाधिकारी डॉ. सौरभ परधी ने बुधवार शाम हीरा उद्योग के विभिन्न हितधारकों के साथ बैठक की, जिसमें गुजरात सरकार द्वारा हाल ही में घोषित वित्तीय सहायता पैकेज के क्रियान्वयन पर चर्चा की गई।

हालांकि, इस बैठक में गुजरात डायमंड वर्कर्स यूनियन के प्रतिनिधियों को आमंत्रित नहीं किया गया, जबकि यह संगठन लंबे समय से हीरा पॉलिशरों में बढ़ती बेरोजगारी की समस्या उठाता रहा है।

24 मई को सूरत में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उद्योग राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने इस विशेष राहत पैकेज की घोषणा की थी।

बुधवार की बैठक में सूरत डायमंड एसोसिएशन, जिला रोजगार कार्यालय, जिला उद्योग अधिकारी, श्रम विभाग के अधिकारी और प्रमुख बैंकों के प्रतिनिधि मौजूद थे। बैठक में यह तय किया गया कि एक स्क्रूटनी कमेटी (जांच समिति) बनाई जाएगी, जो बेरोजगार हीरा पॉलिशरों और हीरा इकाई मालिकों से आवेदन स्वीकार करेगी और उनकी जांच कर उन्हें सरकारी योजना का लाभ दिलाएगी।

सरकारी पैकेज के तहत, राज्य सरकार ऐसे हीरा पॉलिशरों के बच्चों की एक वर्ष की स्कूल फीस (अधिकतम 13,500 रुपए) का खर्च उठाएगी, जो 21 वर्ष या उससे अधिक उम्र के हैं, पिछले एक वर्ष से बेरोजगार हैं, लेकिन उससे पहले कम से कम तीन वर्ष तक कार्यरत रहे हैं।

इसके अलावा, हीरा इकाई मालिकों को जुलाई से शुरू होकर तीन वर्षों तक 5 लाख रुपए तक के टर्म लोन पर 9% ब्याज माफी का लाभ मिलेगा। जिन हीरा इकाइयों में 2.5 करोड़ रुपए तक की मशीनरी का निवेश है और जिनकी बिजली खपत पिछले वर्ष में घटी है, उन्हें बिजली शुल्क में सब्सिडी दी जाएगी।

सूरत डायमंड एसोसिएशन के अध्यक्ष जगदीश खुन्त ने योजना के क्रियान्वयन को चुनौतीपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, “सूरत में हीरा उद्योग बहुत व्यापक है, यहां लगभग 3,500 कारखाने और करीब 7 लाख कारीगर काम करते हैं। हालांकि ये आंकड़े सटीक नहीं हैं, क्योंकि अभी तक कोई सर्वेक्षण नहीं हुआ है। पिछले वर्ष से बेरोजगार पॉलिशरों की पहचान करना काफी कठिन होगा।”

उन्होंने आगे कहा, “करीब 80% हीरा कारखाने 10 से 40 कर्मचारियों के स्टाफ के साथ चलते हैं और इनके पास कोई आधिकारिक कंपनी रजिस्ट्रेशन नहीं होता। हीरा पॉलिशर भी हर कुछ महीनों में बेहतर वेतन के लिए नौकरी बदलते रहते हैं, और अक्सर मालिकों के पास उनके कर्मचारियों का पूरा रिकॉर्ड नहीं होता।”

खुन्त ने बताया कि आवेदन फार्म तैयार करने का काम शुरू हो चुका है, जिसमें पॉलिशरों और इकाई मालिकों की सभी जरूरी जानकारियां दर्ज होंगी। अगले सप्ताह एक और बैठक बुलाकर आगे की कार्रवाई पर चर्चा की जाएगी।

वहीं, डायमंड वर्कर्स यूनियन के उपाध्यक्ष भावेश टांक ने बैठक में बुलावा न मिलने पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने से कहा, “हम पिछले तीन वर्षों से बेरोजगारी के मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहे हैं। हमने सूरत जिलाधिकारी को कई बार ज्ञापन सौंपे और मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा। अब जब सरकार ने पैकेज की घोषणा की है, हमें चर्चा में शामिल ही नहीं किया गया।”

उन्होंने आगे कहा, “कुछ दिन पहले ही हमने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि उन पॉलिशरों के बच्चों की स्कूल फीस भी माफ की जाए, जो पूरी तरह बेरोजगार नहीं हैं, लेकिन जिनकी सैलरी 50% तक घट चुकी है। हम लंबे समय से पॉलिशरों के हक के लिए लड़ रहे हैं। हमारे पास पॉलिशरों का पूरा डाटा है। अगर हमें इस तरह की बैठकों में बुलाया जाता, तो हम कमेटी को ये विवरण दे सकते थे।”

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