कांग्रेस पार्टी एआईएमआईएम यानी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन को भाजपा की बी-टीम कहती है। एआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी अक्सर इसका करारा जवाब भी देते हैं। कहते हैं कि कांग्रेस ही वह पार्टी है, जिसने तीन दशकों से गुजरात को सत्ताधारी भगवा पार्टी को सौंप रखा है और इसलिए वह आगे भी राज्य में चुनाव नहीं जीत सकती।
लेकिन ओवैसी का अचानक 15 मई को बनासकांठा जिले के छापी शहर का दौरा कई सवाल खड़े करता है। इसलिए कि यह निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी के वडगाम निर्वाचन क्षेत्र की जान है और यही कारण है कि मेवाणी ने 2021 में विधायक बनते ही गुजरात का सबसे बड़ा पहला ऑक्सीजन संयंत्र लॉन्च करने के लिए इसी जगह को चुना।
मेवाणी ने पहले ही कांग्रेस के साथ हाथ मिला रखा है। इसलिए यकीनन तीन युवा नेताओं में से वह भाजपा के लिए एकमात्र आंख की किरकिरी बने हुए हैं। तीन युवा नेताओं में बाकी दो हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर हैं, जिन्होंने 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को दो अंकों यानी 99 सीटों तक सिमटा दिया था। .
ठाकोर पहले ही 2019 में भाजपा में शामिल हो गए थे और वहां उन्हें किनारे भी लगा दिया गया। अब हार्दिक ने भाजपा की जमकर प्रशंसा करते हुए कांग्रेस छोड़ दी है। विडंबना यह है कि पटेल वास्तव में अब कांग्रेस पार्टी के लिए अराजक तत्व भर रह गए हैं। हालांकि अब उनके पास वह कद नहीं है जो 2015 से 2017 तक पाटीदार आंदोलन के दौरान हुआ करता था।
यही कारण है कि 14 और 15 मई को गुजरात के अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान छापी को सभा के लिए चुनने वाले ओवैसी ने राजनीतिक सनसनी फैला दी है। 14 मई को वह अहमदाबाद शहर के सरसपुर में एक ईद समारोह में शामिल हुए।
छापी शहर में 35% मुस्लिम आबादी है और वडगाम में एआईएमआईएम के उम्मीदवार की उपस्थिति से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में मेवाणी के वोटों में सेंध लगने की आशंका है। जैसा कि फरवरी 2021 के स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान कई सीटों पर हुआ था। एआईएमआईएम ने अहमदाबाद नगर निगम में कांग्रेस से सात मुस्लिम बहुल सीटें छीन ली थीं, जबकि वह गोधरा नगरपालिका में किंगमेकर के रूप में उभरी और राज्य भर में 24 सीटों पर कब्जा किया।
इसके अलावा, कांग्रेस के पूर्व विधायक मणिभाई वाघेला भी भाजपा में शामिल हो गए हैं, जिन्हें 2017 में मेवाणी को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़ा करने के लिए अपनी वडगाम सीट खाली करनी पड़ी थी। अब संभावना यही है कि वह वडगाम से इस बार युना दलित नेता से दो-दो हाथ करेंगे।
2017 में मेवाणी ने 19,696 मतों के अंतर से यह सीट जीती थी। तब उन्हें और भाजपा उम्मीदवार विजय कुमार चक्रवर्ती को क्रमशः 95,497 और 75,801 वोट मिले थे। 2007 में यह सीट भाजपा ने जीती थी। तब भाजपा ने 9,705 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी।
इसलिए ओवैसी के शक्ति प्रदर्शन के साथ इस छोटे से शहर में रुकने का फैसला, मणिभाई वाघेला का भाजपा में शामिल होना और यहां तक कि आम आदमी पार्टी (आप) से भी इस बार जिग्नेश मेवाणी के लिए बड़ी चुनौती है। वैसे आप क्षेत्र में और आम तौर पर ग्रामीण इलाकों में कोई महत्वपूर्ण ताकत नहीं है, लेकिन वह निश्चित रूप से वडगाम में कांग्रेस के वोटों को काटेगी।
इस घटनाक्रम के बारे में पूछे जाने पर जिग्नेश मेवाणी ने वाइब्स ऑफ इंडिया से कहा, ”उन्हें (ओवैसी को) इलाके का दौरा करने दीजिए। इससे क्या होगा? इस देश में हर किसी को कहीं भी जाने का अधिकार है। मेरी अपनी रणनीति है। समय आने पर आप इसे देखेंगे।”
हाल ही में असम जेल से रिहा होने के बाद जिग्नेश ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए कि वह एक बड़ी लड़ाई के लिए तैयार है। उन्होंने हाल ही की लोकप्रिय फिल्म “पुष्पा” के एक प्रसिद्ध संवाद का भी इस्तेमाल किया, यह कहते हुए कि, “मैं झुकेगा नहीं साला।”
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