कचरे से सोना निकलना तो आपने सुना होगा लेकिन जो कचरा अहमदाबाद के लिए मुसीबत का सबब बन रहा था वही कचरा आज वित्तीय संकट से जूझ रही अहमदाबाद मनपा के लिए आय का साधन बनता जा रहा है। विवादास्पद पिराना डंप साइट अब सिस्टम के लिए राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है। आखिरकार सिस्टम के संचालन के परिणाम मिलने लगे हैं। कचरे से मिट्टी के उपयोग से निगम को कुल 15 करोड़ रुपये की आय हुई है।
पिराना डंपिंग साइट पर वेस्ट टू बेस्ट करने की निगम की परियोजना लाभदायी साबित हुई है। यह प्रोजेक्ट अब करोड़ों की कमाई कर रहा है। वहीं दूसरी ओर एक-दूसरे के ऊपर लगे कूड़े के ढेर भी कम होते जा रहे हैं। ऐसे में यह कचरा निगम की आय का जरिया बन गया है। पिराना की ओर के 3 डम्पिंग साईट में से अजमेरी डंप के कचरे का निकाल कर दिया गया है। जिसमें 35 एकड़ जमीन खुली हो चुकी है ,जिसके लिए 45 लाख मीट्रिक टन कचरे का निस्तारण किया गया है।
अहमदाबाद निगम ने कुल रु. 15 करोड़ का राजस्व अर्जित किया है। रिवरफ्रंट परियोजना के लिए 8 लाख मीट्रिक टन मिट्टी दी गई, जिससे 11 करोड़ रुपये की आय हुई। तो साबरमती आश्रम परियोजना के लिए प्रदान की गई 4 लाख मीट्रिक टन मिट्टी से 2 करोड़ से अधिक की आय हुयी है। डंप साइट से ग्रामीणों को चार से पांच लाख मीट्रिक टन मिट्टी दी गई है। एएमसी की विभिन्न परियोजनाओं के लिए डेढ़ लाख मीट्रिक टन मिट्टी उपलब्ध कराई गई है। इस प्रकार कचरे से कंचन के रूप में आय हो रही है।
वर्तमान में उच्च डंप को साफ करने का काम चल रहा है। अहमदाबाद निगम अब तक 52 लाख मीट्रिक टन कचरे के निस्तारण पर 24 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमने कई विवादों और आरोपों के बीच काम किया। वर्तमान में, हर दिन डंप साइट पर 1,000 मीट्रिक टन कचरे का निपटान किया जाता है।” आज 500 करोड़ रुपए की जमीन खाली कराई है। 24 करोड़ के प्रोजेक्ट के सामने 14 से 15 करोड़ की आय हो चुकी है। हम नया टू वे ब्रिज बनाकर काम में तेजी लाना चाहते हैं, डेढ़ साल में साइट को साफ कर देंगे। इसी के तहत अहमदाबाद में दूर ही दिखने वाला कचरे का पहाड़ भी समाप्त हो जायेगा।
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