सूरत में इनकम टैक्स छापे में 1,700 करोड़ रुपये के 'बेनामी सौदे'; 15 करोड़ रुपये की नकदी और जेवरात बरामद

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सूरत में इनकम टैक्स छापे में 1,700 करोड़ रुपये के ‘बेनामी सौदे’; 15 करोड़ रुपये की नकदी और जेवरात बरामद

| Updated: December 6, 2022 17:17

धानेरा डायमंड्स और भावना जेम्स और कंपनियों से जुड़ी रियल एस्टेट फर्मों के विभिन्न कार्यालयों और परिसरों पर इनकम टैक्स (आई-टी) विभाग के छापे पड़े हैं। चार दिनों की छापे की कार्रवाई अब तक 15 करोड़ रुपये की नकदी और आभूषण बरामद किए गए हैं। सोमवार को भी दस जगहों पर छापेमारी की गई।

सूत्रों ने कहा कि छापे के दौरान 1,700 करोड़ रुपये के बेनामी सौदों का खुलासा करने वाले भूमि और बिजनेस डाक्यूमेंट जब्त किए गए। इनसे ही हीरा फर्मों और रियल एस्टेट बाजार के बीच बेनामी सौदों का खुलासा हुआ। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि ऑपरेशन खत्म होने तक यह आंकड़ा 2000 करोड़ रुपये तक जा सकता है।

सूरत आई-टी विभाग के अतिरिक्त जांच निदेशक विभोर बडोनी की देखरेख में 2 दिसंबर को शुरू हुआ तलाशी अभियान सूरत और मुंबई के 30 स्थानों पर चलाया गया।

आई-टी विभाग के सूत्रों ने कहा कि धनेरा डायमंड्स ने अपने कारोबार का केवल लगभग 30 प्रतिशत का रिकॉर्ड ही दिखाया। बाकी महीधरपुरा में एक गुप्त किराए के ऑफिस में छिपा कर रखा गया था। धानेरा के मालिकों में से एक अरविंद शाह (अजबानी) ही दरअसल ऑफिस और रिकॉर्ड की देखभाल करते हैं, जो हर हफ्ते एक बार अपडेट किया जाता है।

छापों के दौरान भावना जेम्स के एक ऐसे ही कार्यालय का भी पता चला है। कंपनी कटारगाम में अपने कारखाने के सामने एक छोटी सी बिजली की दुकान पर बेनामी रिकॉर्ड छिपा कर रखती थी। अधिकारियों ने दोनों फर्मों से पिछले 15 साल से लेकर 17 साल तक के रिकॉर्ड जब्त किए हैं।

उन्होंने नरेश शाह, रमेश वाघसिया और कादर कोथमीर से जमीन से जुड़े दस्तावेज, बैंक लॉकर और डिजिटल डेटा भी ज़ब्त किए। सूत्रों ने कहा कि नरेश शाह गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां (एनबीएफसी) भी चलाते हैं और रियल एस्टेट क्षेत्र में उनका भारी निवेश है।

जब्त दस्तावेजों के आधार पर अधिकारियों ने पाया कि नरेश और वाघसिया नियमित रूप से हीरा व्यवसायियों से धन प्राप्त करते थे, जिन्हें रियल एस्टेट क्षेत्र में भेजा जाता था।

पुलिस और स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, जिन लोगों से पूछताछ की जा रही है, उनके संबंध बीजेपी के नेताओं से हैं।

एक आई-टी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, खुफिया सूचनाओं के बाद टीमों ने तलाशी अभियान चलाने से पहले लगभग दो महीने तक फर्मों की गतिविधियों पर नजर रखी। अधिकारी उन वाहनों से छापा मारने पहुंचे जिन पर “चुनाव ड्यूटी” के स्टिकर लगे थे।

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