अहमदाबाद में हुए विमान हादसे ने उड़ान से जुड़ी बुनियादी सुरक्षा और DGCA (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) की भूमिका को एक बार फिर सवालों के घेरे में ला दिया है। यह सरकारी संस्था विमानन क्षेत्र की निगरानी करती है, लेकिन जब बात पायलटों की सुरक्षा की आती है तो उसकी कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं।
पायलटों की असमय मौतें बनीं चेतावनी की घंटी
अगस्त 2023 में इंडिगो के 40 वर्षीय कैप्टन मनोज सुब्रमण्यम की नागपुर एयरपोर्ट पर कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई। वह पुणे जाने वाली उड़ान के लिए सुरक्षा जांच के दौरान इंतजार कर रहे थे जब वे अचानक गिर पड़े। अस्पताल ले जाने पर उन्हें मृत घोषित किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने एक दिन पहले तिरुवनंतपुरम-नागपुर-पुणे की उड़ान सुबह 3 बजे से 7 बजे तक भरी थी और 27 घंटे आराम के बाद चार सेक्टर उड़ान भरने के लिए ड्यूटी पर थे।
तीन महीने बाद, नवंबर में दिल्ली एयरपोर्ट पर प्रशिक्षण के दौरान एयर इंडिया के एक 37 वर्षीय पायलट की मौत हो गई। कारण फिर वही – कार्डियक अरेस्ट।
2010 में मंगलुरु एयरपोर्ट पर एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, जिसमें 158 लोग मारे गए थे। जांच में पाया गया कि सर्बियाई पायलट ज़्लाट्को ग्लूसिका उड़ान के दौरान सो गए थे और लैंडिंग के दौरान पूरी तरह से असंतुलित थे। उनके सह-पायलट की बार-बार की चेतावनियों को भी उन्होंने नजरअंदाज़ किया।
पायलटों की थकान: एक खतरनाक वास्तविकता
‘सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन’ नामक एनजीओ ने 2020, 2022 और 2024 में पायलट थकान को लेकर सर्वे किए। जुलाई 2024 में हुए सर्वे में शामिल 530 पायलटों में से 70% ने कहा कि 10 घंटे से अधिक की उड़ान ड्यूटी से थकावट काफी बढ़ती है। भारतीय नियमों के अनुसार, पायलट 24 घंटे में 13 घंटे तक उड़ान ड्यूटी कर सकते हैं। 63% पायलटों ने कहा कि शेड्यूल में बार-बार बदलाव और ‘टेल स्वैप’ जैसी प्रक्रियाओं से उनकी जैविक घड़ी प्रभावित होती है।
2022 के सर्वे में 66% पायलटों ने स्वीकार किया कि उन्होंने उड़ान के दौरान झपकी ली, जबकि 54.2% दिन में अत्यधिक नींद महसूस करते थे। 40% पायलटों ने थकान की शिकायत न करने की वजह कंपनी द्वारा संभावित कार्रवाई को बताया। 31% पायलटों ने यह तक कहा कि थकान के कारण उनकी उड़ानों में ‘क्लोज कॉल’ जैसी स्थितियाँ बन चुकी हैं।
DGCA की भूमिका पर सवाल
DGCA की भूमिका इस मामले में संदिग्ध रही है। इंडियन पायलट्स गिल्ड, इंडियन कमर्शियल पायलट्स एसोसिएशन और फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स ने बेहतर ड्यूटी रोस्टर और आराम अवधि की मांग को लेकर सात साल से दिल्ली और मुंबई हाई कोर्ट में मुकदमा लड़ा।
2019 में DGCA ने FDTL (फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन) नियम लागू किए, जिसे पायलट संगठनों ने अदालत में चुनौती दी। 2023 में पायलटों की मौतों के बाद DGCA ने कुछ बदलावों की घोषणा की, लेकिन उन्हें लागू करने में टालमटोल करती रही।
एक वरिष्ठ एयर इंडिया पायलट के अनुसार, DGCA और पायलटों के बीच नियमों को लेकर गहरी असहमति है। कई लंबी दूरी की उड़ानों में तीन पायलटों की मांग को DGCA ने खारिज कर दिया, जबकि अंतरराष्ट्रीय मानकों में यह आम बात है।
कोर्ट का हस्तक्षेप और देरी
दिल्ली हाई कोर्ट ने 2024 की शुरुआत में पायलटों के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने DGCA को वैश्विक मानकों और चिकित्सा शोध के आधार पर नए FDTL नियम लागू करने का आदेश दिया। इनमें ड्यूटी घंटों को 8 घंटे तक सीमित करना, साप्ताहिक आराम को 36 घंटे से बढ़ाकर 48 घंटे करना और रात की उड़ानों की संख्या घटाना शामिल था।
हालांकि DGCA ने जून 1, 2024 तक नए नियम लागू करने की समयसीमा तय की थी, लेकिन एयरलाइंस ने इसका विरोध किया। इंडिगो और एयर इंडिया ने जून 2025 तक समय मांगा, जबकि स्पाइसजेट ने मार्च 2026 तक की मांग की। DGCA ने कोई नई समयसीमा घोषित किए बिना एयरलाइंस की मांग मान ली।
अंततः दिसंबर 2024 में दिल्ली हाई कोर्ट ने DGCA को फटकार लगाई और नए नियमों को 1 जुलाई 2025 से लागू करने का अंतिम आदेश दिया। फरवरी 2025 में DGCA ने अदालत को यह आश्वासन दिया कि सभी हितधारकों की सहमति से नियम 1 जुलाई 2025 से प्रभावी होंगे। हालांकि, DGCA ने यह भी कहा कि कुछ प्रावधानों जैसे आराम अवधि को नवंबर 1, 2025 से चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
नोट- उक्त लेख मूल रूप से द वायर वेबसाइट द्वारा प्रकाशित किया जा चुका है.
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