नई दिल्ली: पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने बुधवार को दो-राष्ट्र सिद्धांत का समर्थन करते हुए कहा कि हिंदू और मुस्लिम “जीवन के हर पहलू में एक-दूसरे से अलग” हैं। यही विचार पाकिस्तान की स्थापना की नींव बना।
इस्लामाबाद में आयोजित ओवरसीज़ पाकिस्तानियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए जनरल मुनीर ने कहा कि माता-पिता को अपने बच्चों को पाकिस्तान की कहानी सुनानी चाहिए ताकि वे इस देश की उत्पत्ति को कभी न भूलें।
उन्होंने कहा, “आपको पाकिस्तान की कहानी अपने बच्चों को सुनानी है ताकि वे इसे कभी न भूलें — जब हमारे पूर्वजों ने यह महसूस किया कि हम हिंदुओं से जीवन के हर पहलू में अलग हैं।”
जनरल मुनीर ने आगे कहा, “हमारा धर्म अलग है, हमारे रीति-रिवाज अलग हैं, हमारी परंपराएं अलग हैं, हमारे विचार अलग हैं, हमारी आकांक्षाएं अलग हैं। यही वह आधार था जिस पर दो-राष्ट्र सिद्धांत की नींव रखी गई। हम दो अलग-अलग कौमें हैं, हम एक नहीं हैं।”
इस कार्यक्रम में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भी मौजूद थे। अपने संबोधन में सेना प्रमुख ने पाकिस्तान की स्थापना में योगदान देने वाले लोगों के बलिदान को भी याद किया। उन्होंने कहा, “इन्हीं विचारों के कारण हमारे पूर्वजों ने एक निरंतर संघर्ष किया, इस देश को बनाने के लिए बहुत कुछ कुर्बान किया। हमने भी पाकिस्तान के लिए बहुत बलिदान दिए हैं, और हमें पता है कि इस देश की रक्षा कैसे करनी है।”
उन्होंने ओवरसीज़ पाकिस्तानियों से अपील की कि वे अगली पीढ़ियों को पाकिस्तान की कहानी जरूर सुनाएं। “मेरे प्यारे भाइयों, बहनों, बेटों और बेटियों — पाकिस्तान की कहानी मत भूलो, और इसे अपनी अगली पीढ़ियों तक जरूर पहुँचाओ। चाहे वह तीसरी पीढ़ी हो, चौथी हो या पाँचवीं, उन्हें यह मालूम होना चाहिए कि पाकिस्तान उनके लिए क्या मायने रखता है।”
गौरतलब है कि दो-राष्ट्र सिद्धांत मुस्लिम लीग द्वारा प्रस्तुत किया गया था, जिसमें यह तर्क दिया गया कि हिंदू और मुस्लिम दो अलग-अलग राष्ट्र हैं, और मुस्लिमों को एक अलग देश मिलना चाहिए। यही विचार आगे चलकर पाकिस्तान आंदोलन का आधार बना और 1947 में भारत का विभाजन हुआ।
अपने भाषण में जनरल मुनीर ने बलूचिस्तान में आतंकवाद को जड़ से खत्म करने का भी संकल्प लिया। उन्होंने कहा, “दस पीढ़ियों के आतंकवादी भी बलूचिस्तान और पाकिस्तान का कुछ नहीं बिगाड़ सकते।”
उन्होंने विदेशों में रहने वाले पाकिस्तानियों की देशभक्ति और योगदान की भी प्रशंसा की।
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