सूरत: 30 वर्षों तक पुलिस सेवा देने के बाद, सूरत के सहायक पुलिस आयुक्त (ACP) बी.एम. चौधरी को उनकी सेवानिवृत्ति से कुछ सप्ताह पहले ही सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। गुजरात राज्य गृह विभाग के आदेश पर यह कार्रवाई 20 मई को की गई। चौधरी पर आरोप है कि उन्होंने 1993 में पुलिस उपनिरीक्षक के पद पर भर्ती के समय अनुसूचित जनजाति (ST) का फर्जी जाति प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया था।
चौधरी 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले थे, लेकिन अब उन्हें तत्काल प्रभाव से सेवा से मुक्त कर दिया गया है।
जोन-5 के पुलिस उपायुक्त (DCP) आर.पी. बारोट ने बताया, “हमें 20 मई को राज्य गृह विभाग से एसीपी बी.एम. चौधरी (बापू मोटीराम चौधरी) की बर्खास्तगी का आदेश प्राप्त हुआ। हमने उन्हें आदेश की प्रति सौंप दी है और उन्हें तत्काल प्रभाव से ड्यूटी से मुक्त कर दिया गया है।”
चौधरी पिछले तीन वर्षों से सूरत शहर पुलिस के के डिवीजन में एसीपी के पद पर तैनात थे। उनके अधीन तीन पुलिस थाने—पाल, अडाजन और रांदेर—थे। अपने 30 वर्षों के करियर में उन्होंने गुजरात के विभिन्न जिलों में सेवा दी और 2019 में उन्हें एसीपी के पद पर पदोन्नति मिली।
हालांकि चौधरी से इस विषय पर संपर्क नहीं हो सका, लेकिन उनके भतीजे जितेंद्र ने उनके ST वर्ग में होने का दावा किया।
जितेंद्र ने कहा, “मेरे चाचा का जन्म और पालन-पोषण तापी जिले के कुकर्मुंडा गांव में हुआ। महाराष्ट्र में हमारी चौधरी जाति ‘तेली चौधरी’ के नाम से ओबीसी वर्ग में आती है, लेकिन गुजरात में यह जाति अनुसूचित जनजाति में शामिल है।”
उन्होंने यह भी बताया कि चौधरी ने प्राथमिक शिक्षा कुकर्मुंडा से प्राप्त की और फिर सूरत शहर से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद 1993 में उपनिरीक्षक भर्ती में भाग लिया और शारीरिक व लिखित परीक्षा पास की।
सूत्रों के अनुसार, लगभग दो वर्ष पहले चौधरी के ही परिवार के किसी सदस्य ने पुलिस महानिदेशक (DGP) और गृह विभाग में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि चौधरी ने फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर सरकारी नौकरी हासिल की।
इसके बाद गृह विभाग ने सामाजिक कल्याण विभाग को चौधरी के जाति प्रमाणपत्र की जांच के आदेश दिए। जांच टीम ने कुकर्मुंडा स्थित उनके घर का दौरा किया, परिजनों से मुलाकात की और स्थानीय सरकारी रिकॉर्ड से जानकारी जुटाई। रिपोर्ट गृह विभाग को सौंपी गई, जिसके बाद बर्खास्तगी का निर्णय लिया गया।
चौधरी के करीबी सूत्रों का कहना है कि वह आने वाले दिनों में इस निर्णय को गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती दे सकते हैं।
यह भी पढ़ें- अहमदाबाद में हिट एंड रन हादसा: राज्य स्तरीय फुटबॉलर वेंटिलेटर पर, आरोपी पुलिस कांस्टेबल का बेटा गिरफ्तार