comScore सूरत में गांधी की हत्या पर आधारित पुस्तक चर्चा कार्यक्रम को पुलिस ने नहीं दी अनुमति, अंतिम क्षणों में रद्द हुआ आयोजन - Vibes Of India

Gujarat News, Gujarati News, Latest Gujarati News, Gujarat Breaking News, Gujarat Samachar.

Latest Gujarati News, Breaking News in Gujarati, Gujarat Samachar, ગુજરાતી સમાચાર, Gujarati News Live, Gujarati News Channel, Gujarati News Today, National Gujarati News, International Gujarati News, Sports Gujarati News, Exclusive Gujarati News, Coronavirus Gujarati News, Entertainment Gujarati News, Business Gujarati News, Technology Gujarati News, Automobile Gujarati News, Elections 2022 Gujarati News, Viral Social News in Gujarati, Indian Politics News in Gujarati, Gujarati News Headlines, World News In Gujarati, Cricket News In Gujarati

Vibes Of India
Vibes Of India

सूरत में गांधी की हत्या पर आधारित पुस्तक चर्चा कार्यक्रम को पुलिस ने नहीं दी अनुमति, अंतिम क्षणों में रद्द हुआ आयोजन

| Updated: May 2, 2025 13:59

सूरत में गांधी हत्या पर आधारित पुस्तक चर्चा को पुलिस ने अनुमति नहीं दी, आयोजन रद्द हुआ, आयोजकों ने आरोप लगाया पुलिस दबाव का।

महात्मा गांधी की हत्या पर आधारित एक पुस्तक पर चर्चा के लिए सूरत में आयोजित बंद-द्वार कार्यक्रम को अंतिम क्षणों में रद्द करना पड़ा, क्योंकि स्थानीय पुलिस ने “कानून-व्यवस्था की स्थिति” उत्पन्न होने की आशंका जताते हुए इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया।

यह कार्यक्रम स्थानीय एनजीओ प्रार्थना संघ और मैत्री ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया जा रहा था। इसका शीर्षक था ‘गोडसे ने गांधी को क्यों मारा’, जो प्रसिद्ध कवि और लेखक अशोक कुमार पांडेय की हिंदी पुस्तक ‘उसने गांधी को क्यों मारा’ पर आधारित था। कार्यक्रम गुरुवार शाम को नानपुरा स्थित रोटरी हॉल में होना था, जिसे जीवन भारती ट्रस्ट संचालित करता है।

पिछले कुछ दिनों से आयोजकों ने समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों को आमंत्रित किया था। लेकिन जैसे ही अथवा लाइंस पुलिस स्टेशन के अधिकारियों ने हॉल प्रबंधन से संपर्क कर आयोजन की अनुमति के बारे में पूछा, मामला उलझ गया।

जीवन भारती ट्रस्ट के प्रबंधक कल्पेश पटेल ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “यह एक पुराना हॉल है, और पिछले साल इसका नवीनीकरण चल रहा था, जिसके कारण कोई सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं हुआ। गुरुवार का आयोजन नवीनीकरण के बाद पहला कार्यक्रम होता। हमने आज तक किसी भी कार्यक्रम के लिए पुलिस से अनुमति नहीं ली है।”

उन्होंने आगे कहा, “बुधवार रात को अथवा लाइंस पुलिस स्टेशन से एक अधिकारी ने हमसे संपर्क कर पूछा कि क्या कार्यक्रम के लिए पुलिस अनुमति ली गई है। जब मैंने उन्हें बताया कि ऐसी कोई अनुमति नहीं ली गई है, तो उन्होंने चेतावनी दी कि बिना अनुमति के कार्यक्रम हुआ तो आयोजकों और ट्रस्ट के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हमने तुरंत प्रार्थना संघ के प्रतिनिधियों को इसकी जानकारी दी, जिसके बाद उन्होंने कार्यक्रम रद्द करने का निर्णय लिया।”

सूत्रों के अनुसार, प्रार्थना संघ ने यह हॉल 10 दिन पहले 25,000 रुपए की अग्रिम राशि देकर बुक किया था।

अथवा लाइंस पुलिस निरीक्षक एच.के. सोलंकी ने कहा, “हमने हॉल प्रबंधन से कहा था कि वे आयोजकों को पुलिस से अनुमति लेने के लिए कहें। अब तक कोई अनुमति आवेदन हमें नहीं मिला है। हमें यह जानना जरूरी है कि किस विषय पर और किस प्रकार का भाषण होगा, क्योंकि अगर ऐसा कोई भाषण सोशल मीडिया पर वायरल हो जाए तो कानून-व्यवस्था की समस्या हो सकती है। समय कम होने के कारण अनुमति नहीं ली जा सकी और आयोजकों ने कार्यक्रम रद्द कर दिया।”

प्रार्थना संघ के उपाध्यक्ष और सेवानिवृत्त प्रोफेसर किशोर देसाई ने कहा, “हमने हॉल प्रबंधन से पुष्टि की और पाया कि अब तक किसी भी बंद-द्वार कार्यक्रम के लिए अनुमति नहीं ली जाती रही है। 23 अप्रैल को हमने सूरत पुलिस आयुक्त अनुपम सिंह गहलौत से मुलाकात कर उन्हें आमंत्रित भी किया था। लेकिन बुधवार रात मुझे ट्रस्ट के प्रबंधक और ट्रस्टी का फोन आया, जिसमें उन्होंने मुझे कार्यक्रम रद्द करने या अनुमति लेने के लिए कहा। ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस के दबाव के कारण ट्रस्ट ने हॉल देने से मना कर दिया।”

इस प्रस्तावित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता अहमदाबाद के एच.के. आर्ट्स कॉलेज के सेवानिवृत्त प्राचार्य प्रोफेसर हेमंत कुमार शाह और उनके बेटे प्रोफेसर आत्मन शाह थे।

सूत्रों के अनुसार, यह पुस्तक पर आधारित चौथा कार्यक्रम होता। इससे पहले दो कार्यक्रम अहमदाबाद में — 30 जनवरी और 11 अप्रैल को — तथा एक कार्यक्रम वडोदरा में 13 अप्रैल को हो चुका था।

प्रोफेसर हेमंत कुमार शाह ने कहा, “यह शर्मनाक है कि आज के भारत में हम गांधी के हत्यारे के बारे में चर्चा भी नहीं कर सकते। मेरा सवाल है कि सूरत जैसे शहर, जो कवि नरमद की भूमि है, वहां ऐसा कार्यक्रम क्यों नहीं हो सकता? यह हमारे संविधान द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है।”

उन्होंने कहा, “मैंने इस पुस्तक पर आधारित 55 अनुच्छेदों का एक लेखन तैयार किया था। मैंने डॉ. अशोक कुमार पांडेय की हिंदी पुस्तक का गुजराती में अनुवाद किया है। पुस्तक का विमोचन अहमदाबाद के साहित्य परिषद हॉल में हुआ था, जहां डॉ. पांडेय स्वयं उपस्थित थे और हॉल खचाखच भरा हुआ था।”

उन्होंने कहा, “कार्यक्रम का उद्देश्य केवल जानकारी देना था, न कि किसी प्रकार की राजनीतिक चर्चा करना। कार्यक्रम के बाद हम लोगों से अनुरोध करते हैं कि वे पुस्तक पढ़ें और स्वयं सत्य को जानें कि महात्मा गांधी की हत्या के पीछे कौन लोग थे और उनकी मानसिकता क्या थी।”

सूरत में इस आयोजन पर रोक के बाद इतिहास और सामाजिक विमर्श पर लगातार बढ़ते प्रतिबंधों को लेकर चिंताएं फिर से सामने आई हैं।

यह भी पढ़ें- कौन हैं आई.पी. गौतम जिन्हें गांधी आश्रम पुनर्विकास परियोजना की सौंपी गई है जिम्मेदारी?

Your email address will not be published. Required fields are marked *