‘आज भारतीय संगीत की लय थम गई। सुर मौन हो गए। भाव शून्य हो गए। कथक के सरताज पंडित बिरजू महाराज जी नहीं रहे। लखनऊ की ड्योढ़ी आज सूनी हो गई। कालिकाबिंदादीन जी की गौरवशाली परंपरा की सुगंध विश्व भर में प्रसरित करने वाले महाराज जी अनंत में विलीन हो गए।’
बिरजू महाराज कथक के पर्याय थे। वह लखनऊ के कालका बिंदादीन घराने के सदस्य थे।बिरजू महाराज का पूरा नाम बृज मोहन नाथ मिश्र था। उनका जन्म 4 फरवरी 1937 को लखनऊ के प्रसिद्ध कथक नर्तक परिवार में हुआ था।कथक सम्राट नर्तक पंडित बिरजू महाराज का हृदयाघात से निधन हो गया। पद्म विभूषण से सम्मानित 83 वर्षीय बिरजू महाराज ने रविवार-सोमवार की दरमियानी रात दिल्ली में अंतिम सांस ली। बिरजू महाराज के निधन की खबर से संगीत प्रेमियों में शोक की लहर छा गई।
देवदास, बाजीराव मस्तानी समेत कई फिल्मों के लिए नृत्य संयोजन किया
बिरजू महाराज ने देवदास, डेढ़ इश्किया, उमराव जान और बाजी राव मस्तानी जैसी फिल्मों के लिए नृत्य संयोजन किया था। इसके अलाव इन्होंने सत्यजीत राय की फिल्म ‘शतरंज के खिलाड़ी’ में संगीत भी दिया था। उन्हें 2012 में ‘विश्वरूपम’ फिल्म में नृत्य संयोजन के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 2016 में बाजीराव मस्तानी के ‘मोहे रंग दो लाल’ गाने की कोरियाग्राफी के लिए उन्हें फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया।
बीती रात हुए थे अचेत हुए
बताया जा रहा है कि बिरजू महाराज कल देर रात अपने पोते के साथ खेल रहे थे तभी उनकी तबीयत खराब हो गई और वे अचेत हो गए। उन्हें तुरंत साकेत के अस्पताल में ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनके परिजनों ने बताया कि कुछ दिन पहले ही महाराज को गुर्दे की बीमारी का पता चला था। उनका इलाज चल रहा था। गायक मालिनी अवस्थी और अदनान सामी समेत कला, फिल्म व संगीत जगत की तमाम हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है|
और नहीं थे अहमदाबाद के नसीब में
पंडित बिरजू महाराज 7 जनवरी को अहमदाबाद में आयोजित” सप्तक ” में अपने कथक से कला प्रेमियों को मंत्रमुग्ध करने वाले थे , लेकिन कोरोना के कारण आयोजन को स्थगित कर दिया गया | जिससे गुजरात के कला प्रेमी पदमविभूषण कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज के दीदार से वंचित रह गये | शायद उनका भी यह आखिरी आयोजन होता क्योकि 7 जनवरी के बाद कोरोना के बढे मामलों के कारण कोई सामूहिक आयोजन हुआ ही नहीं है|