समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 16 दिसंबर को अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव से मुलाकात की और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के साथ गठबंधन की घोषणा की|
अब तक के सभी चुनावी सर्वे में समाजवादी पार्टी यूपी में सीएम योगी को चुनौती देती नजर आ रही है| ऐसे में अखिलेश यादव ‘यादव वोट बैंक’ को पूरी तरह अपने पाले में करने के लिए प्रगतिशील समाजवादी पार्टी से लेकर गैर-ओबीसी वोटों के लिए सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ गठबंधन का औपचारिक ऐलान कर चुके हैं|
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया)
समाजवादी पार्टी (लोहिया) को अपने साथ करके अखिलेश यादव ने यादव वोट बैंक को मजबूती से अपने पाले में करने की कवायद की है| 2019 लोकसभा में एसपी के अक्षय यादव फिरोजाबाद लोकसभा सीट हार गए क्योंकि शिवपाल यादव की पार्टी ने यादव वोट को बांट दिया था|
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP)
2019 तक योगी की सरकार में शामिल और बीजेपी के पूर्व सहयोगी राजभर को अपने पाले में करके अखिलेश यादव ने मुख्य रूप से पिछड़ी जातियों को साधने को जोड़ने का कम किया है, जो SBSP का आधार मानी जाती हैं और पूर्वी उत्तर प्रदेश की आबादी में 20% से अधिक हिस्सेदारी रखती हैं| राजभर समुदाय राज्य की आबादी का 3% है और इसकी सूबे की लगभग 125 विधानसभा सीटों में उपस्थिति है|
राष्ट्रीय लोक दल (RLD)
समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल ने 7 दिसंबर को मेरठ में एक रैली में 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए औपचारिक रूप से अपने गठबंधन की घोषणा की|
जनवादी सोशलिस्ट पार्टी
27 अक्टूबर को, जिस दिन अखिलेश और राजभर मऊ में अपनी संयुक्त रैली कर रहे थे, बीजेपी ने घोषणा की थी कि उसे पूर्वी यूपी के सात दलों – भारतीय मानव समाज पार्टी, मुसहर आंदोलन मंच (गरीब पार्टी), शोषित समाज पार्टी, मानवहित पार्टी, भारतीय सुहेलदेव जनता पार्टी, पृथ्वीराज जनशक्ति पार्टी और भारतीय समता समाज पार्टी का समर्थन मिला है|
महान दल
अखिलेश इसके साथ गठबंधन कर पहले से ही यादव वोटों पर पकड़ दावा करती एसपी के लिए गैर-यादव” ओबीसी वोटों का जुगाड़ करेंगे|