वडोदरा – मार्च 2025 में वडोदरा के करेलीबाग इलाके में हुए भीषण कार हादसे में एमएस यूनिवर्सिटी के लॉ छात्र रक्षित चौरसिया के खिलाफ 3,000 पन्नों की चार्जशीट मंगलवार को दाखिल की गई। चार्जशीट में बताया गया है कि चौरसिया ने 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाई और हादसे के दौरान गाड़ी रोकने की कोई कोशिश नहीं की। इस हादसे में एक महिला की मौत हो गई थी और सात लोग घायल हो गए थे।
हादसे के वक्त कार में रक्षित के साथ उसका दोस्त प्रांशु चौहान भी मौजूद था।
फॉरेंसिक रिपोर्ट, चश्मदीदों और वोक्सवैगन के डेटा पर आधारित चार्जशीट
पुलिस ने यह चार्जशीट 90 दिन की तय सीमा के भीतर दाखिल की है। इसमें फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की रिपोर्ट, 100 से ज्यादा चश्मदीदों के बयान, और कार निर्माता कंपनी वोक्सवैगन द्वारा दिए गए इंसीडेंट डेटा रिकॉर्डर (IDR) यानी ब्लैक बॉक्स की रिपोर्ट शामिल की गई है।
ब्लैक बॉक्स डेटा के मुताबिक, चौरसिया लगातार 100 से 140 किमी/घंटा की रफ्तार से गाड़ी चला रहा था और हादसे के बाद भी गाड़ी 140 की रफ्तार से दौड़ती रही, जब तक कि उसमें लगे ऑटोमैटिक ब्रेक्स ने उसे रोका।
ड्रग्स के नशे में थी ड्राइविंग
वडोदरा पुलिस कमिश्नर नरसिम्हा कोमार ने बताया, “FSL रिपोर्ट में साफ है कि रक्षित चौरसिया और उसके सहयात्री प्रांशु चौहान ड्रग्स के प्रभाव में थे। दोनों को पता था कि नशे में गाड़ी चलाना अपराध है, फिर भी उन्होंने गाड़ी निकाली।”
उन्होंने कहा, “हालांकि दोनों के खिलाफ NDPS एक्ट के तहत अलग केस दर्ज है, लेकिन उन्होंने जानबूझकर लोगों की जान को खतरे में डाला।”
वोक्सवैगन ने भी की पुष्टि
कमिश्नर कोमार ने बताया कि कार निर्माता वोक्सवैगन की रिपोर्ट से इस मामले में पुलिस को काफी मदद मिली। उन्होंने कहा, “Volkswagen Virtus जैसी हाई-एंड गाड़ी के ब्लैक बॉक्स से साफ हुआ कि हादसे के वक्त गाड़ी की रफ्तार 100 से काफी ज्यादा, कुछ जगहों पर 140 किमी/घंटा तक थी। हमारे पास इसे साबित करने वाले चश्मदीदों के बयान भी हैं।”
सेशंस कोर्ट ने पुलिस की पुनर्विचार याचिका खारिज की
इसी केस से जुड़े एक अन्य घटनाक्रम में, वडोदरा सेशंस कोर्ट ने मंगलवार को पुलिस की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। यह याचिका उस आदेश के खिलाफ थी जिसमें JMFC (Judicial Magistrate First Class) कोर्ट ने प्रांशु चौहान की अवैध हिरासत से तुरंत रिहाई के आदेश दिए थे।
“बिना वजह हिरासत में रखा गया”, बोले प्रांशु
चौहान ने कोर्ट में कहा था कि उन्हें 5 अप्रैल को NDPS मामले में ज़मानत मिलने के तुरंत बाद करेलीबाग पुलिस स्टेशन ने बिना किसी वैध कारण के फिर से हिरासत में ले लिया। उनका यह भी आरोप था कि उन्हें 3 अप्रैल से ही हिरासत में रखा गया और रातभर पुलिस कस्टडी में रखा गया, जबकि उन्हें इस हिरासत के बारे में कुछ नहीं बताया गया।
पुलिस अब कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही
कमिश्नर कोमार ने पुष्टि की कि प्रांशु चौहान को भी सह-आरोपी बनाया गया है और पुलिस अब सेशंस कोर्ट के फैसले का विधिक विश्लेषण कर रही है। उन्होंने कहा, “हम इस आदेश का अध्ययन करेंगे और कानूनी सलाह लेकर तय करेंगे कि उच्च न्यायालय में अपील करें या आदेश को स्वीकार करें।”
यह भी पढ़ें- ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पाकिस्तान की 118 पोस्ट तबाह करने वाले BSF जवानों को मिली जर्जर ट्रेन, सफर से किया इनकार