ब्रिटेन: प्रायोगिक दवा परीक्षण के बाद कैंसर से मुक्त हो गईं भारतीय मूल की महिला, जबकि उनका अंत था करीब

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ब्रिटेन: प्रायोगिक दवा परीक्षण के बाद कैंसर से मुक्त हो गईं भारतीय मूल की महिला, जबकि उनका अंत था करीब

| Updated: July 5, 2022 09:40

ब्रिटेन के एक अस्पताल में एक क्लिनिकल अध्ययन के बाद  भारतीय मूल की एक महिला को कुछ साल पहले जीने के लिए केवल कुछ महीने बताए गए थे। बता दें कि डॉक्टरों की रिपोर्ट के अनुसार, वह अब स्तन कैंसर से मुक्त हो चुकी हैं। नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) का ट्रायल सफल होने के बाद मैनचेस्टर के फॉलोफील्ड की 51 वर्षीय जैस्मीन डेविड अब सितंबर में अपनी शादी की 25वीं सालगिरह का इंतजार कर रही हैं।

एटेज़ोलिज़ुमाब दरअसल एक इम्यूनोथेरेपी दवा है, जिसे नसों के जरिये दिया जाता है। इसे क्रिस्टी एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर रिसर्च (एनआईएचआर) मैनचेस्टर क्लिनिकल रिसर्च फैसिलिटी (सीआरएफ) में डेविड को दो साल के परीक्षण के दौरान एक प्रयोगात्मक दवा के साथ जोड़ा गया था। वह अभी भी हर तीन सप्ताह में यह दवा ले रही हैं।

डेविड याद करती हैं, “15 महीने तक कैंसर का इलाज कराने के बाद यह खत्म जैसा हो गया था। मैं खुद इसे भूल गई थी, लेकिन कैंसर फिर वापस आ गया।”

उन्होंने कहा, “जब मुझे ट्रायल के लिए कहा गया, तो मुझे नहीं पता था कि यह मेरे लिए काम करेगा। फिर भी मैंने सोचा कि कम से कम मैं दूसरों की मदद करने और अगली पीढ़ी के लिए अपने शरीर का उपयोग तो कर ही सकती हूं। सबसे पहले, मुझे सिरदर्द और तेज बुखार सहित कई भयानक दुष्प्रभाव हुए। इसलिए मैं क्रिसमस पर अस्पताल में थी और काफी खराब हालत में थी। फिर शुक्र है कि इलाज का मेरे ऊपर अच्छा असर दिखने लगा।”

दो वयस्क बच्चों की मां डेविड पहले काफी सक्रिय थीं। स्वास्थ्य भी ठीक था। उन्होंने नवंबर 2017 में अपने वक्ष के ऊपर एक गांठ देखी। बाद में पता चला कि यह स्तन कैंसर का तीन गुणा खतरनाक रूप है।

अप्रैल 2018 में उन्होंने एक मास्टेक्टॉमी, छह महीने की कीमोथेरेपी और विकिरण चिकित्सा के 15 चक्रों को सहन किया। इससे उनके शरीर को कैंसर से पूरी तरह छुटकारा मिला। कैंसर फिर अक्टूबर 2019 में वापस आया, और स्कैन में उनके पूरे शरीर पर कई घावों का पता चला, जो एक भयानक इशारा कर रहा था।

कैंसर फेफड़े, लिम्फ नोड्स और छाती की हड्डी में फैल गया था। उन्हें बहुत ही दुखदायी खबर दी गई थी। बताया गया कि उनके पास जीने के लिए अब एक वर्ष से भी कम समय है। दो महीने बाद कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था। ऐसे में डेविड को पहले चरण के क्लिनिकल ट्रायल में भाग लेकर अनुसंधान का हिस्सा बनने का अवसर दिया गया था।

डेविड ने कहा, “मैंने अपना 50 वां जन्मदिन फरवरी 2020 में मनाया, जबकि अभी भी इलाज के बीच में थी और यह नहीं जानती थी कि भविष्य क्या है। ढाई साल पहले मैंने सोचा था कि यह अंत है। लेकिन, ऐसा लग रहा है कि मेरा पुनर्जन्म हो गया है।”

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