वीएस अस्पताल में सामने आए विस्फोटक क्लिनिकल ट्रायल घोटाले के बाद गुजरात के स्वास्थ्य विभाग ने अपनी जांच का दायरा बढ़ा दिया है। अब यह जांच डायरेक्टरेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (DMER) और गुजरात मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च सोसाइटी (GMERS) के अंतर्गत आने वाले सभी कॉलेजों और अस्पतालों में हुए क्लिनिकल ट्रायल्स तक पहुंच गई है।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने बीते दो वर्षों में इन संस्थानों में हुए सभी क्लिनिकल ट्रायल्स का पूरा ब्योरा मांगा है। सूत्रों के अनुसार, जांच के तहत इन ट्रायल्स से जुड़े एथिकल कमेटी, रिसर्च कमेटी और उनकी सदस्यता के विवरणों के साथ-साथ वित्तीय लेनदेन की भी समीक्षा की जाएगी।
विभाग के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इस गहन जांच से राज्य के अन्य मेडिकल संस्थानों में भी इसी तरह की अनियमितताओं का पर्दाफाश हो सकता है। हालांकि, संभावित गड़बड़ियों का पूरा पैमाना अभी स्पष्ट नहीं है।
‘चौंकाने वाले’ खुलासों के बाद त्वरित कार्रवाई
गांधीनगर स्थित एक वरिष्ठ DMER अधिकारी ने कहा, “वीएस अस्पताल में सामने आया मामला चिकित्सा जगत के लिए एक झटका है। कई सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में नैतिक (एथिकल) क्लिनिकल ट्रायल हो रहे हैं, लेकिन इन सभी को निर्धारित नियमों का पालन करना चाहिए।”
अधिकारी ने बताया कि ट्रायल्स की निगरानी करने वाली एथिकल कमेटियों के पंजीकरण और उनकी वैधता की भी जांच की जा रही है।
उन्होंने कहा, “हम पिछले एक-दो वर्षों में किए गए ट्रायल्स का डेटा खंगाल रहे हैं और देख रहे हैं कि कहीं वित्तीय लेनदेन में कोई गड़बड़ी तो नहीं हुई।”
अधिकारी के अनुसार, सोलासिविल अस्पताल, मेडिकल कॉलेज और गोत्री मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस संबंध में बैठकें भी की गई हैं।
“DMER के तहत आने वाले बीजे मेडिकल कॉलेज समेत सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों से क्लिनिकल ट्रायल्स का पूरा डेटा मांगा गया है,” अधिकारी ने बताया।
प्रमुख सरकारी अस्पतालों में आपातकालीन बैठकें
सूत्रों ने पुष्टि की है कि वीएस अस्पताल घोटाले के बाद बीजे मेडिकल कॉलेज और सोलासिविल अस्पताल के शीर्ष अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठकें हो चुकी हैं। अधिकारियों को जल्द से जल्द क्लिनिकल ट्रायल्स से जुड़ा पूरा विवरण तैयार कर स्वास्थ्य विभाग को सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
स्वास्थ्य आयुक्त ने जांच को ‘सत्यापन’ बताया
जांच को लेकर जहां एक ओर गंभीरता बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर राज्य के स्वास्थ्य आयुक्त हर्षद पटेल ने इसे हल्के में लेते हुए कहा कि,
“वीएस अस्पताल में हुए क्लिनिकल ट्रायल्स में नियमों का उल्लंघन हुआ था,” पटेल ने स्वीकार किया। “हालांकि, DMER और GMERS के मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में नैतिक रूप से क्लिनिकल ट्रायल्स संचालित हो रहे हैं।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि, “यह जांच नहीं, बल्कि एक सत्यापन (वेरिफिकेशन) है। हमने सिर्फ ट्रायल्स का डेटा और विवरण मांगा है।”
इस बीच, इस मामले पर स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल और स्वास्थ्य सचिव धनंजय द्विवेदी से संपर्क करने के प्रयास असफल रहे।