-ओमीक्रोन डेल्टा की तुलना में हल्का वेरिएंट हो सकता है, लेकिन इसके बारे में बहुत जल्द सुनिश्चित होना जरूरी है।
-यदि आपने दोनों बार वैक्सीन नहीं लिए हैं, तो संक्रमण और अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम अधिक है।
-कोविड-19 वैक्सीन की तीसरी खुराक लेने पर वायरस से बेहतर सुरक्षा मिल सकती है।
-फरवरी के पहले सप्ताह तक भारत में कोविड-19 संक्रमण की तीसरी लहर चरम पर हो सकती है।
-अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों ने बढ़ते मामलों के बावजूद लोगों की आवाजाही पर कड़े प्रतिबंध लगाने से परहेज किया है।
कोविड-19 संक्रमण की तीसरी लहर का सामना विभिन्न देश कर रहे हैं। जिन देशों में नए वेरिएंट ओमीक्रोन के सबसे अधिक मामले मिले हैं, उनके अनुभवों के आधार पर हमें कम से कम 5 सीखें जरूर लेनी चाहिए।
1. ओमीक्रोन के साधारण किस्म के वेरिएंट रहने की ही संभावना है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि अंतिम रूप से यह निर्णय निकालने के लिए अभी उसे और अधिक डेटा की आवश्यकता है। इस बीच, फ्रांस में शोधकर्ताओं ने आईएचयू नामक एक नए वेरिएंट का पता लगाया है। इसके ओमीक्रोन से अधिक खतरनाक होने की आशंका है, जिससे अधिक सतर्कता की जरूरत बढ़ा दी है।
2. डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि संक्रमण का जोखिम और अस्पताल में भर्ती होने की संभावित आवश्यकता उन लोगों के लिए अधिक है, जिन्होंने वैक्सीन नहीं ली है।
3. भारत में कोविड के मामले 2 फरवरी तक चरम पर होंगे। आईआईटी कानपुर के शोधकर्ताओं का पूर्वानुमान इस धारणा पर आधारित है कि भारत में भी अन्य देशों जैसा ही मामलों में वृद्धि का रुझान रहेगा। शोध में भारत में पहली और दूसरी लहर के मामलों में दर्ज वृद्धि दर को भी आधार बनाया गया।
4. बूस्टर डोज की आवश्यकता हो सकती है। ब्रिटेन में हुए नए अध्ययनों से पता चला है कि कोविड-19 वैक्सीन की तीसरी खुराक ओमीक्रॉन वेरिएंट के लिए किसी व्यक्ति के प्रतिरोध क्षमता को 88% तक बढ़ाने के लिए जरूरी हो सकती है। यह दूसरी खुराक की तुलना में नए वेरिएंट के खिलाफ सुरक्षा का उच्च स्तर हो सकता है, जिसकी प्रभावशीलता छह महीने के बाद कम होने लगती है।
ऑक्सफोर्ड ने कहा है कि एंटीबॉडी के स्तर को बढ़ाने के लिए एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड कोविड-19 वैक्सीन वैक्सजेवरिया का तीसरा बूस्टर शॉट आवश्यक है। कवरशील्ड वैक्सज़ेवरिया का भारतीय संस्करण है, जिसे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने बनाया है।
5. रात का कर्फ्यू बेकार है। अन्य देशों ने लोगों की आवाजाही पर कड़े प्रतिबंध लगाने से परहेज किया है।
भले ही अमेरिका और ब्रिटेन में रोजाना कोविड-19 के काफी मामले दर्ज हो रहे हैं, लेकिन उन देशों ने कोई नया प्रतिबंध नहीं लगाने का फैसला किया है। हालांकि, इन देशों में वर्क फ्रॉम होम एक बार फिर आम बात हो गई है।
दूसरी ओर, भारत में कई राज्यों ने तीसरी लहर को मात देने के लिए रात के कर्फ्यू, सप्ताहांत के लॉकडाउन और इस तरह के अन्य प्रतिबंध लगा दिए हैं। वैसे हो सकता है कि ऐसे समय में उन जगहों पर कोविड-19 प्रोटोकॉल को लागू करना जरूरी हो, जहां काम-धंधे के कारण भीड़ अधिक जुटती हो।
अब भी भारत में बड़े पैमाने परसोशल डिस्टेंसिंग के बिना बड़ी भीड़ और सड़क पर बिना मास्क के लोग दिखते हैं।
हालांकि, नीतिगत प्रतिक्रिया रात के कर्फ्यू तक सीमित है। डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने एक टीवी साक्षात्कार में कहा कि जब कोविड-19 से निपटने की बात आती है, तो रात के कर्फ्यू के पीछे कोई बुद्धिमानी नहीं दिखती है। उन्होंने कहा, “मनोरंजन स्थल वे स्थान हैं, जहां ये वायरस सबसे अधिक फैलते हैं। वहां कुछ प्रतिबंध लगाना स्वाभाविक है।”