नई दिल्ली: भारत के पास इतनी सैन्य ताकत है कि वह पाकिस्तान की पूरी भू-सीमा में किसी भी लक्ष्य पर सटीक हमला कर सकता है। यदि पाकिस्तान सेना अपना मुख्यालय रावलपिंडी से कहीं और स्थानांतरित करती है, तो उसे “छिपने के लिए बहुत गहरा गड्ढा खोजना पड़ेगा” — यह कहना है भारतीय सेना के एक शीर्ष अधिकारी का।
भारतीय सेना के एयर डिफेंस के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी’कुन्हा ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, “पूरा पाकिस्तान हमारी रेंज में है।”
उन्होंने कहा, “भारत के पास पर्याप्त हथियार प्रणाली है जो पाकिस्तान के किसी भी हिस्से को लक्ष्य बना सकती है — चाहे वह सबसे चौड़ा इलाका हो या सबसे संकरा। उनका जीएचक्यू (जनरल हेडक्वार्टर्स) रावलपिंडी में रहे या खैबर पख्तूनख्वा (KPK) में शिफ्ट हो — हर जगह हमारी पहुंच है।”
स्वदेशी तकनीक और सटीक हमलों से मिली सफलता
यह बयान भारत-पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुई सैन्य झड़पों के बाद सामने आया है। भारतीय वायुसेना और सेना ने पाकिस्तान के कई एयरबेस पर लक्षित हमले किए, जिनमें कुछ बेस सीमा के पास और कुछ अंदरूनी क्षेत्रों में थे। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इन हमलों का प्रभाव सीधे रावलपिंडी स्थित पाकिस्तानी सेना मुख्यालय तक महसूस किया गया।
इस “ऑपरेशन सिंदूर” की सफलता का श्रेय स्वदेशी ड्रोन तकनीक और प्रिसीजन-गाइडेड मिसाइलों को दिया जा रहा है।
800 से ज्यादा पाकिस्तानी ड्रोन नष्ट
लेफ्टिनेंट जनरल डी’कुन्हा ने बताया कि पाकिस्तान ने चार दिनों में 800 से 1000 ड्रोन भारतीय सीमा में भेजे। लेकिन इनमें से सभी हथियारबंद ड्रोन को सेना, नौसेना और वायुसेना के समन्वित प्रयास से सफलतापूर्वक मार गिराया गया।
उन्होंने कहा, “पाकिस्तानी यूसीएवी (Unmanned Combat Aerial Vehicles) सीधे हमारी नागरिक आबादी को निशाना बनाने के इरादे से भेजे गए थे, लेकिन हमने सुनिश्चित किया कि वे कोई क्षति न पहुंचा सकें। कोई भी नागरिक हताहत नहीं हुआ — यही हमारी तैयारियों का प्रमाण है।”
ऑपरेशन सिंदूर: आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई
भारत ने 7 मई को “ऑपरेशन सिंदूर” शुरू किया। यह कार्रवाई उस आतंकी हमले के जवाब में की गई जिसमें जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी थी।
इसके जवाब में पाकिस्तान ने भारत के सीमावर्ती शहरों पर ड्रोन और गोलीबारी से हमला किया। लेकिन भारत ने जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों पर सटीक हमले किए, जिससे इस्लामाबाद को युद्धविराम की पहल करनी पड़ी।
दोनों देशों के बीच 10 मई को युद्धविराम पर सहमति बनी, जो अब तक प्रभावी है।
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