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सुप्रीम कोर्ट में भारी हंगामा: CJI पर वकील ने किया जूते से हमले का प्रयास, ‘सनातन का अपमान नहीं सहेंगे’ के लगाए नारे

| Updated: October 6, 2025 14:55

भरी अदालत में CJI पर हमले की कोशिश, सुरक्षाकर्मियों ने किया नाकाम

नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत, सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक अप्रत्याशित और चौंकाने वाली घटना घटी। भरी अदालत में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई पर एक वकील ने जूते से हमला करने की कोशिश की, जिससे कोर्ट परिसर में सनसनी फैल गई।

यह पूरा घटनाक्रम उस समय हुआ जब मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच वकीलों द्वारा मामलों की मेंशनिंग (उल्लेख) सुन रही थी। इसी दौरान, एक वकील अचानक CJI की बेंच के करीब पहुंचा और कथित तौर पर अपना जूता निकालकर न्यायाधीश पर फेंकने का प्रयास किया।

हालांकि, इससे पहले कि वह अपने मंसूबे में कामयाब हो पाता, कोर्ट में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत हरकत में आते हुए उसे पकड़ लिया। सुरक्षाकर्मी उस वकील को फौरन कोर्टरूम से बाहर ले गए। बाहर ले जाते समय वह वकील लगातार चिल्ला रहा था, “सनातन का अपमान नहीं सहेंगे।”

इस पूरे हंगामे के बीच CJI बी.आर. गवई पूरी तरह से शांत बने रहे। उन्होंने इस घटना से प्रभावित हुए बिना कोर्ट में मौजूद अन्य वकीलों से अपनी दलीलें जारी रखने को कहा। उन्होंने कहा, “इन सब चीजों से विचलित न हों। हम विचलित नहीं हैं। ऐसी बातों का मुझ पर कोई असर नहीं पड़ता।”

घटना के पीछे क्या है वजह?

माना जा रहा है कि यह घटना CJI गवई की उस टिप्पणी से जुड़ी हो सकती है जो उन्होंने कुछ दिन पहले एक मामले की सुनवाई के दौरान की थी। यह मामला खजुराहो में भगवान विष्णु की 7 फुट की खंडित मूर्ति की पुनर्स्थापना से संबंधित था।

उस याचिका को खारिज करते हुए CJI ने कहा था, “अब जाइए और देवता से ही कुछ करने के लिए कहिए। आप कहते हैं कि आप भगवान विष्णु के परम भक्त हैं, तो अब जाकर प्रार्थना कीजिए। यह एक पुरातात्विक स्थल है और इसके लिए ASI की अनुमति आदि की आवश्यकता होती है।”

CJI की इस टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था और कई लोगों ने उन पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया था। इस विवाद के दो दिन बाद, CJI गवई ने खुली अदालत में इस पर अपनी सफाई दी थी। उन्होंने कहा था कि उनका इरादा किसी का अनादर करना नहीं था।

उन्होंने कहा, “मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं… यह सब सोशल मीडिया पर हुआ।”

उस समय केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी CJI का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि सोशल मीडिया पर अक्सर घटनाओं पर बढ़ा-चढ़ाकर प्रतिक्रिया दी जाती है।

उन्होंने न्यूटन के नियम का हवाला देते हुए कहा, “हमने यह देखा है… न्यूटन का नियम कहता है कि हर क्रिया की बराबर प्रतिक्रिया होती है, लेकिन अब हर क्रिया की असंगत सोशल मीडिया प्रतिक्रिया होती है, मिलॉर्ड।”

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