राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS ) समुदायों के बीच की खाई को पाटने के लिए काम कर रहा है। इसे देखते हुए पांच मशहूर मुस्लिम बुद्धिजीवियों (intellectuals) ने हाल ही में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को पत्र लिखकर इस मुद्दे के समाधान के तरीकों पर चर्चा करने के लिए बैठक का अनुरोध (requesting a meeting) किया था। इनमें दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) एसवाई कुरैशी, राष्ट्रीय लोक दल (RLD) नेता शाहिद सिद्दीकी, सईद शेरवानी और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति (former vice-chancellor ज़मीर उद्दीन शाह शामिल थे। आरएसएस प्रमुख ने उनसे दो हफ्ते पहले दिल्ली के केशव कुंज में मुलाकात की थी।
इस बैठक में शामिल एक व्यक्ति ने कहा, “ऐसा लगता है जैसे आपस में दुश्मन बन गए हैं समुदाय। जबकि हकीकत में ऐसा नहीं है। इसलिए हमने संयुक्त रूप से समुदायों के बीच खाई को पाटने (we have jointly made an effort to bridge the communication gap) का प्रयास किया है और मिलजुल कर देश को आगे ले जाने के लिए काम किया है। यह पूरी तरह से गैर राजनीतिक प्रयास (This is a completely apolitical effort) है।” बैठक की पृष्ठभूमि (backdrop of the meeting) में नूपुर शर्मा की घटना और राजस्थान में कन्हैया लाल की हत्या थी।
भागवत ने कहा कि देश की बेहतरी के लिए इस तरह की बैठकें नियमित रूप (regularly) से होनी चाहिए।
हालांकि, बैठक में ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा नहीं उठाया गया। सूत्रों के मुताबिक, आने वाले दिनों में एक और बैठक होगी, जिसमें अधिक लोग भाग लेंगे। अभी तक मुस्लिम बुद्धिजीवी सभी को साथ लेकर आगे बढ़ने के एजेंडे के साथ विभिन्न समूहों के लोगों के साथ चर्चा कर रहे हैं।
आरएसएस और भाजपा ने भी पिछले कुछ महीनों में अल्पसंख्यक समुदाय के साथ अपने जुड़ाव (increased their engagement with the minority community) को बढ़ाया है। ताकि आपसी विश्वास बढ़ाया जा सके। आरएसएस के सूत्रों के मुताबिक, नेतृत्व हमेशा सभी समुदायों के लोगों से मिलने के लिए तैयार रहा है और नियमित रूप से ऐसा करता रहा है।