राजस्थान में ग्रामीण पर्यटन योजना लागू

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राजस्थान में ग्रामीण पर्यटन योजना लागू

| Updated: December 6, 2022 18:50

राजस्थान में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने ग्रामीण पर्यटन योजना (Rural Tourism Scheme)-2022 लागू की है। ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इसकी घोषणा राज्य के बजट में की गई थी। इस योजना को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में राजस्थान कैबिनेट ने 24 नवंबर को मंजूरी दी थी।

ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित होने वाली पर्यटन इकाइयों एवं ग्रामीण अतिथि गृहों (guest houses), कृषि पर्यटन इकाइयों, शिविर स्थलों एवं कारवां पार्कों की स्थापना से गांवों में रोजगार मिलेंगे। साथ ही ग्रामीण हस्तकलाओं (handicrafts) का संरक्षण भी होगा। इसके अलावा देसी-विदेशी पर्यटक राजस्थान की ग्रामीण संस्कृति से रूबरू हो सकेंगे। यह जानकारी सीएम कार्यालय ने एक बयान में दी है। इसमें कहा गया है, “ग्रामीण जीवन, कला संस्कृति और विरासत (heritage) को प्रदर्शित करने वाली पर्यटन इकाइयों को राज्य सरकार द्वारा बढ़ावा दिया जाएगा।”

वन विभाग के अधीन क्षेत्र में ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा राज्य ईको पर्यटन नीति (Eco Tourism Policy), 2021 के प्रावधानों के अनुसार किया जाएगा। ग्रामीण पर्यटन इकाइयों को स्टाम्प शुल्क में शत-प्रतिशत छूट दी जाएगी। बयान के मुताबिक, शुरुआत में 25 फीसदी स्टांप शुल्क देना होगा, जो पर्यटन इकाई होने का सर्टिफिकेट जमा करने के बाद वसूला जाएगा।

इसमें कहा गया है, “देय और जमा किए गए एसजीएसटी (SGST) की 10 साल तक 100 फीसदी प्रतिपूर्ति (reimbursed) की जाएगी।”

‘मुख्यमंत्री लघु उद्योग प्रोत्साहन योजना’ (Small Industries Promotion Scheme) के तहत 25 लाख रुपए तक के कर्ज पर 8 फीसदी की जगह 9 फीसदी की ब्याज सब्सिडी (interest subsidy) दी जाएगी।

अधिकारियों के मुताबिक, ग्रामीण पर्यटन इकाइयों को भूमि परिवर्तन (land conversion) और बिल्डिंग प्लान की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। बयान में कहा गया है, “स्थानीय लोक कलाकारों (folk artists) और हस्तशिल्पियों (handicraftsmen) और ग्रामीण स्टार्टअप को मंजूरी और देय लाभ (benefits payable) में प्राथमिकता (priority) दी जाएगी।”

ग्रामीण गेस्ट हाउस, कृषि-पर्यटन इकाइयां, कैंपिंग साइट, कारवां पार्क, होमस्टे (Paying Guest Houses) आदि इस योजना की विशेषताएं हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में 6-10 कमरों वाले पेइंग गेस्ट हाउस रजिस्टर्ड होंगे। पर्यटकों के ठहरने के लिए ये कमरे किराए पर उपलब्ध होंगे। गेस्ट हाउस में पर्यटकों के लिए भोजन की भी व्यवस्था होगी।

स्वीकृत पर्यटन इकाई कम से कम 2000 वर्ग मीटर और अधिक से अधिक 2 हेक्टेयर कृषि भूमि पर स्थापित की जाएगी। 90 प्रतिशत भाग में ग्रामीण परिवेश में कृषि एवं बागवानी (horticulture) कार्य, ऊंट फार्म, घोड़ा फार्म, पक्षी एवं पशुपालन (bird and livestock), फसल बुवाई, हस्तशिल्प, उद्यान आदि गतिविधियां पर्यटकों को उपलब्ध कराई जाएंगी।

कैंपिंग साइट कम से कम 1,000 वर्ग मीटर और अधिक से अधिक एक हेक्टेयर कृषि भूमि पर बनाया  जा सकता है। इसमें से 10 फीसदी के लिए टेंट में अस्थायी आवास की व्यवस्था की जाएगी। शेष भाग में ऊंट पालन, घोड़ा पालन, पशुपालन, बागवानी आदि गतिविधियां होंगी।

कारवां पार्क कम से कम 1,000 वर्ग मीटर और अधिक से अधिक 1 हेक्टेयर कृषि भूमि पर बनाया  जा सकता है। इस पर गेस्ट के लिए पार्किंग की सुविधाएं भी होंगी।

पर्यटन विभाग द्वारा पूर्व में जारी होम स्टे (पेइंग गेस्ट हाउस) योजना ग्रामीण क्षेत्रों में भी लागू है। इसके तहत पर्यटकों को उनके अपने घर में गृहस्वामी (accommodation owner) द्वारा 5 कमरों तक की आवास सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

गौरतलब है कि इस योजना के तहत पर्यटन विभाग के संबंधित पर्यटक स्वागत केंद्र द्वारा ग्रामीण अतिथि गृहों, कृषि पर्यटन इकाइयों, शिविर स्थलों और कारवां पार्कों का परियोजना अनुमोदन और पंजीकरण किया जाएगा। इसके साथ ही ग्रामीण पर्यटन इकाइयों के लिए 15 फुट चौड़ी सड़क का होना जरूरी होगा।

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