अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आखिरकार अपने बहुप्रतीक्षित “ट्रंप कार्ड” (Trump Card) या जिसे वे “गोल्ड कार्ड” (Gold Card) भी कह रहे हैं, की औपचारिक घोषणा कर दी है। इस कार्ड के जरिए विदेशी नागरिक अब 5 मिलियन डॉलर (लगभग 41 करोड़ रुपये) की राशि देकर अमेरिका में स्थायी निवास (रेजिडेंसी) का रास्ता प्राप्त कर सकते हैं।
ट्रंप ने इसे “ग्रीन कार्ड जैसा, लेकिन अधिक परिष्कृत स्तर का” बताया है। उन्होंने कहा कि इच्छुक व्यक्ति अब trumpcard.gov वेबसाइट पर जाकर आवेदन फॉर्म भर सकते हैं और वेटलिस्ट में शामिल हो सकते हैं।
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर पोस्ट करते हुए लिखा, “लाखों लोग पूछ रहे थे कि अमेरिका जैसे महान देश और मार्केट में पहुंच कैसे मिले — और अब उनके पास ‘ट्रंप कार्ड’ के रूप में एक शानदार मौका है।”
हालांकि, ट्रंप की पोस्ट के विवरण में साफ तौर पर यह लिखा है कि यह कार्ड सीधी अमेरिकी नागरिकता नहीं देता, बल्कि सिर्फ एक “सुंदर रास्ता” दिखाता है अमेरिका तक पहुंचने का।
डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि इस योजना को लागू करने के लिए उन्हें कांग्रेस की मंज़ूरी की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह कार्ड सिर्फ नागरिकता तक पहुंच का एक विकल्प प्रदान करता है, न कि उसे सुनिश्चित करता है।
गौरतलब है कि अमेरिका में स्थायी निवास और फिर नागरिकता पाने का पारंपरिक तरीका नैचुरलाइजेशन प्रोसेस होता है, जिसमें कम से कम 5 वर्षों तक अमेरिका में रहना, अंग्रेजी भाषा की बुनियादी जानकारी और “अच्छरे नैतिक चरित्र” का होना आवश्यक होता है।
इस महीने की शुरुआत में अमेरिका के वाणिज्य सचिव हावर्ड लटनिक ने दावा किया था कि यह 5 मिलियन डॉलर वाला गेटवे भारत जैसे देशों में काफी लोकप्रिय हो सकता है।
US-India Strategic Partnership Forum (USISPF) लीडरशिप समिट 2025 में अपने संबोधन के दौरान लटनिक ने कहा, “हम भारत में जबरदस्त सफलता हासिल करने वाले हैं। जब लोग मुझसे पूछते हैं, ‘आप भारत कब आ रहे हैं?’ तो मैं कहता हूं, ‘जब मैं ट्रंप कार्ड लॉन्च करूंगा, मैं भारत जरूर आऊंगा।’”
ट्रंप कार्ड की शुरुआत पहले ही अमेरिका में राजनीतिक और कानूनी बहस को जन्म दे चुकी है — खासकर ऐसे समय में जब देश चुनावी माहौल में है।
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