"द प्रॉमिस" के लिए दक्षिण अफ्रीकी उपन्यासकार डेमन गलगुट ने जीता बुकर पुरस्कार - Vibes Of India

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“द प्रॉमिस” के लिए दक्षिण अफ्रीकी उपन्यासकार डेमन गलगुट ने जीता बुकर पुरस्कार

| Updated: November 6, 2021 10:45

दक्षिण अफ्रीका के लेखक डेमन गलगुट को उनके उपन्यास “द प्रॉमिस” के लिए 2021 का बुकर पुरस्कार दिया गया है। बुधवार को लंदन में पुरस्कार समारोह में अपने स्वीकृति भाषण में केपटाउन स्थित 58 वर्षीय लेखक ने कहा, “अफ्रीकी लेखन के लिए यह एक महान वर्ष रहा है। मैं इस उल्लेखनीय महाद्वीप से सुनी और अनसुनी सभी कहानियों और अनकही कहानियों की ओर से इस पुरस्कार को स्वीकार करना चाहता हूं। बता दें कि इस साल की शुरुआत में तंजानिया में जन्मे ब्रिटिश उपन्यासकार अब्दुलराजाक गुरना ने साहित्य का नोबेल पुरस्कार जीता था।

यह तीसरी बार है जब गलगुट ने बुकर के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए और पहली बार प्रतिष्ठित पुरस्कार जीतने में सफल भी रहे। 2003 में उन्हें “द गुड डॉक्टर” और 2010 में “स्ट्रेंज रूम” के लिए नामांकित किया गया था। प्रिटोरिया की पृष्ठभूमि वाले उपन्यास ‘द प्रॉमिस’ एक श्वेत दक्षिण अफ्रीकी परिवार के बारे में है, जो एक अश्वेत महिला को घर देने के  वादे को निभाने में विफल रहता है, जिसने उनके लिए जीवन भर काम किया है।

गलगुट समलैंगिक हैं। उन्होंने कहा भी है कि इससे उन्हें अपने लेखन में अधिक पुरुष उन्मुख संबंधों पर ध्यान केंद्रित करना पड़ता है। वह एक जिज्ञासु यात्री हैं और उन्होंने गोवा के एक होटल में रहते हुए “द गुड डॉक्टर” का काफी कुछ लिखा है। वह पार्कर फाउंटेन पेन से लंबे समय तक उपन्यास लिखते हैं और खुद को “योग के प्रति जुनूनी” बताते हैं।

बुकर पुरस्कार को अंग्रेजी कथा साहित्य के लिए प्रतिष्ठित  और दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण साहित्यिक पुरस्कारों में से एक माना जाता है। इसमें बतौर पुरस्कार नकद में 50,000 पाउंड-स्टर्लिंग मिलता है। अप्रैल में रिलीज होने के बाद से ‘द प्रॉमिस’ की 8,844 प्रतियां बिक चुकी हैं। बुकर पुरस्कार जीतने के बाद अब यह संख्या और बढ़ने वाली है। भारत में “द प्रॉमिस” का पेपरबैक संस्करण वर्तमान में अमेजन पर 528 रुपये में उपलब्ध है, जबकि हार्डकवर 1813 रुपये में उपलब्ध है। अमेजन किंडल संस्करण 549 रुपये में बिकता है। पिछले रुझानों को देखते हुए अनुमान है कि कीमत तब नीचे आ सकती है, जब पुस्तक बड़े पैमाने पर छप कर उपलब्ध हो।

बुकर के जज हर साल बदलते हैं और हमेशा साहित्यिक दुनिया के बाहर से कम से कम एक जज को शामिल किया जाता है। इस बार हार्वर्ड इतिहासकार माया जैसनॉफ की अध्यक्षता में वाले पैनल में अभिनेता नताशा मैकएल्होन, कैंटरबरी रोवन विलियम्स के पूर्व आर्कविशप उपन्यासकार चिगोजी ओबिओमा और आलोचक होराटिया हैरोड शामिल थे। जैसनॉफ ने कहा, “हम एक ऐसी किताब के इर्द-गिर्द आम सहमति पर पहुंचे जो फॉर्म का असली मास्टर है, फॉर्म को नए तरीकों से आगे बढ़ाता है और आवाज की अविश्वसनीय तरलता रखता है।”

इस साल की बुकर शॉर्टलिस्ट में अन्य नाम “बेवल्डरमेंट” के लिए रिचर्ड पावर, “नोबॉडी इज टॉकिंग अबाउट दिस” के लिए पेट्रीसिया लॉकवुड, “द ग्रेट सर्कल” के लिए मैगी शिपटॉम, “द फॉर्च्यून मेन” के लिए नादिफा मोहम्मद और “अ पैसेज ट्रुथ” के लिए अनुक अरुदप्रगासम थे।

गौरतलब है कि अतीत में भारतीय मूल के कई लेखकों ने बुकर पुरस्कार जीते हैं। इनमें अरुंधति रॉय, सलमान रुश्दी, किरण देसाई, अरविंद अडिगा और वीएस नायपॉल शामिल हैं।

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