- प्रदर्शन में नहीं शामिल हो युवा , प्रदर्शनकारियों को नहीं मिलेगी सेना में जगह
अग्निपथ स्कीम को लेकर मचे बवाल के बीच रविवार को तीनों सेनाओं ने प्रेस कांफ्रेंस की। इसमें सैन्य मामलों के विभाग के अतिरिक्त सचिव लेफ्टिनेंट जनरल अरुण पुरी ने कहा कि ‘अग्निवर’ को सियाचिन और अन्य क्षेत्रों जैसे क्षेत्रों में वही भत्ता और सुविधाएं मिलेंगी जो वर्तमान में नियमित सैनिकों पर लागू होती है। सेवा शर्तों में उनके साथ कोई भेदभाव नहीं होगा।
तीनों सेना के एक संयुक्त बयान में कहा गया कि अग्निपथ स्कीम वापस नहीं होगा। सेना ने कहा कि कोचिंग संस्थान छात्रों को भड़का और उकसा रहे हैं। अनिल पुरी ने कहा कि सेना में जाने वाले उम्मीदवारों को हिंसा और प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लेना चाहिए। लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने कहा कि हर साल लगभग 17,600 लोग तीनों सेवाओं से समय से पहले सेवानिवृत्ति ले रहे हैं। किसी ने कभी उनसे यह पूछने की कोशिश नहीं की कि वे सेवानिवृत्ति के बाद क्या करेंगे।
अनिल पुरी ने कहा कि जो भी युवा इधर-उधर, भटक रहे हैं वह अपना समय बर्बाद नहीं करें क्योंकि किसी के लिए भी फिजिकल टेस्ट पास करना उतना आसान नहीं होता है। उनसे गुजारिश है कि वह अपना पूरा ध्यान अगले महीनों में होने वाले टेस्ट पर लगाएं।’
अग्निवर’ को सियाचिन और अन्य क्षेत्रों में वही भत्ता मिलेगा जो वर्तमान में सेवारत नियमित सैनिकों पर लागू होता है
अग्निपथ योजना पर लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने कहा कि ‘अग्निवर’ को सियाचिन और अन्य क्षेत्रों में वही भत्ता मिलेगा जो वर्तमान में सेवारत नियमित सैनिकों पर लागू होता है. सेवा शर्तों में उनके साथ कोई भेदभाव नहीं. यही नहीं देश की सेवा में अपना जीवन कुर्बान करने वाले ‘अग्निवर’ को एक करोड़ रुपये का मुआवजा मिलेगा. इस दौरान उन्होंने कहा कि विभिन्न मंत्रालयों और विभागों द्वारा घोषित ‘अग्निपथ’ के लिए आरक्षण के संबंध में घोषणाएं पूर्व नियोजित थीं और अग्निपथ योजना की घोषणा के बाद हुई आगजनी की प्रतिक्रिया में नहीं थीं.
अनिल पुरी ने कहा कि अगले 4-5 वर्षों में, हमारा (सैनिकों का) भर्ती 50,000-60,000 होगा और ये बाद में बढ़कर 90,000 – 1 लाख हो जाएगा. हमने योजना का विश्लेषण करने और बुनियादी ढांचा की क्षमता बढ़ाने के लिए 46,000 से छोटी शुरुआत की है. यह सुधार लंबे समय से लंबित था. हम इस सुधार के साथ हम सेना में युवावस्था और अनुभव लाना चाहते हैं. आज बड़ी संख्या में जवान अपने 30 के दशक में हैं और अधिकारियों को पहले की तुलना में बहुत बाद में कमान मिल रही है.
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