राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि देश में व्यापक सोच के बाद एक ऐसी जनसंख्या नीति बननी चाहिए, जो सभी समुदायों पर समान रूप से लागू हो। वह बुधवार को नागपुर में आरएसएस की दशहरा रैली में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि समुदाय आधारित जनसंख्या (community-based population) असंतुलन का एक महत्वपूर्ण विषय है। इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जनसंख्या असंतुलन से भौगोलिक सीमाओं में परिवर्तन होता है।
उन्होंने कहा कि नई जनसंख्या नीति संतुलन बनाने के लिए सभी समुदायों पर समान रूप से लागू होनी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस देश में समुदायों के बीच संतुलन होना चाहिए। चीन की एक परिवार एक बच्चा नीति की ओर इशारा करते हुए भागवत ने कहा, “जब हम जनसंख्या को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं, तब हमें देखना चाहिए कि चीन में क्या हुआ। वह देश एक बच्चे की नीति पर चला था और आज वह बुजुर्गों का देश हो रहा है। 57 करोड़ युवाओं की जनसंख्या के साथ भारत अगले 30 वर्षों तक एक युवा राष्ट्र बना रहेंगा।” उन्होंने कहा, “हालांकि, 50 साल बाद भारत का क्या होगा? क्या हमारे पास आबादी को खिलाने के लिए पर्याप्त भोजन होगा।”
भागवत ने लोगों पर अपना खुद का बिजनेस शुरू करने और केवल सरकारी नौकरियों पर निर्भर न रहने पर भी जोर दिया। कहा, “सभी सरकारी नौकरियों को मिलाकर केवल 30 प्रतिशत आबादी को कवर किया जा सकता है। बाकी आबादी को अधिक रोजगार पैदा करने के लिए अपना खुद का बिजनेस शुरू करना होगा।”
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