देश की बेरोजगारी दर जून में बढ़कर 7.80 प्रतिशत हो गई है। इसमें मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र में 13 मिलियन नौकरियों का नुकसान हुआ है। यह जानकारी आर्थिक थिंक-टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने दी है।
आंकड़ों से पता चलता है कि देश में नौकरियों की कुल संख्या मई में लगभग 40.4 करोड़ से 1.3 करोड़ से गिरकर जून में 39 करोड़ हो गई। यह एक गैर-लॉकडाउन महीने के दौरान रोजगार में सबसे बड़ी गिरावट है। ऐसा लेख सीएमआईई के प्रबंध निदेशक महेश व्यास ने बिजनेस स्टैंडर्ड में लिखा है।
थिंक टैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि जून में बेरोजगारी में वृद्धि गांवों में नौकरियों की कमी के कारण हुई थी। ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी मई में 6.62% की तुलना में जून में बढ़कर 8.03% हो गई। इस बीच, शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी जून में घटकर 7.30% हो गई, जो मई में 8.21% थी।
उन्होंने कहा कि गैर-लॉकडाउन महीने के दौरान रोजगार में यह सबसे बड़ी गिरावट है। यह मूल रूप से एक ग्रामीण घटना और मौसमी है। हालांकि, यह एक मौसमी चरण है जब ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि गतिविधियों में कमी होती है और जुलाई में बुवाई शुरू होने पर इसके उलट होने की सबसे अधिक संभावना है।
उन्होंने कहा, “यह चिंताजनक है कि इतनी बड़ी संख्या में श्रमिक मानसून की अनिश्चितता के प्रति इतने संवेदनशील हैं।” उन्होंने कहा, दूसरा चिंताजनक डेटा बिंदु यह है कि जून 2022 में वेतनभोगी कर्मचारियों के बीच 25 लाख नौकरियों में गिरावट देखी गई।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार, राज्यों में जून में हरियाणा में सबसे अधिक बेरोजगारी दर (30.6%) थी। इसके बाद राजस्थान (29.8%) और जम्मू एवं कश्मीर (17.2%) का स्थान है। दूसरी ओर, मध्य प्रदेश में सबसे कम बेरोजगारी दर (0.5%) थी। इसके बाद पुडुचेरी (0.8%), छत्तीसगढ़ और ओडिशा (1.2%) थे।
विश्व बैंक के 2021 के आंकड़ों के अनुसार, भारत की कामकाजी उम्र की आबादी में से केवल 43% के पास ही नौकरी है। यह आंकड़ा बांग्लादेश की तुलना में 54% कम है। यहां तक कि पाकिस्तान भी 48 फीसदी पर बेहतर प्रदर्शन करने में सफल रहा है।
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