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खड़गे बोलेः भाजपा संविधान को नुकसान पहुंचा रही है, एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है

| Updated: October 13, 2022 12:53 pm

भोपाल: “बकरीद में बचेंगे (survive), तभी तो मुहर्रम (Muharram) में नाचेंगे (dance)।” ऐसा मानना है कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष उम्मीदवार (national president candidate) मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) का। उन्होंने भोपाल में ऐसा तब कहा, जब उनसे पूछा गया कि क्या वह 2024 के चुनाव में पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री का चेहरा (Prime Ministerial face) होंगे। 55 वर्षों से कांग्रेस में विभिन्न जिम्मेदारियां निभाते आ रहे राज्यसभा सांसद (Rajya Sabha MP) खड़गे ने बुधवार को भोपाल में 502 पीसीसी प्रतिनिधियों (PCC delegates) से मुलाकात की। ये प्रतिनिधि 17 अक्टूबर को कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव करने के लिए मतदान करेंगे। एआईसीसी अध्यक्ष (AICC president) का चुनाव खड़गे और शशि थरूर के बीच है। दोनों ही पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं।

खड़गे ने कहा कि देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि सरकार “संविधान को नुकसान (damaging the Constitution) पहुंचा रही है। स्वायत्त निकायों (Autonomous bodies) को कमजोर और दुरुपयोग (misused) किया जा रहा है।” उन्होंने कहा,

“हमारी पार्टी की सरकारें छह राज्यों में चुनी गईं, लेकिन उन्हें नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने गिरा दिया। उन्होंने हमारे विधायकों को चुरा लिया। इसके बाद कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, गोवा और महाराष्ट्र में हमारी सरकारें गिरा दी गईं। उनके पास लोगों का समर्थन या जनादेश नहीं है। फिर भी उन्होंने असंवैधानिक (unconstitutionally) रूप से सरकारें बनाईं। ” उन्होंने दावा करते हुए कहा, “मैं यह चुनाव संविधान और हमारे लोकतंत्र की रक्षा के लिए लड़ रहा हूं। सड़कों से संसद तक भाजपा के खिलाफ लड़ने के लिए। ”

यह व्यापक (widely) रूप से माना जाता है कि खड़गे को पार्टी आलाकमान ने चुना है। गांधी परिवार के सदस्यों के चुनाव नहीं लड़ने के कारण खड़गे को पार्टी अध्यक्ष के लिए सोनिया गांधी की प्राथमिकता (preference) के रूप में देखा जा रहा है। सवाल यह है कि क्या खड़गे अप्रैल 2024 के संसदीय चुनाव में भी पीएम पद के उम्मीदवार होंगे। इसके बारे में पूछे जाने पर खड़गे ने कहा, “अभी मैं कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहा हूं। जब बकरीद में बचेंगे, तो मुहर्रम में नाचेंगे।” पीसीसी प्रतिनिधियों से मुलाकात के बाद खड़गे ने कहा, ‘यह एक संगठनात्मक (organizational) चुनाव है। हम कांग्रेस के संविधान के अनुसार चुनाव लड़ते हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं और सीनियर नेताओं ने मुझे मैदान में उतारा है।

खड़गे ने कहा कि उन्होंने सांसद प्रतिनिधियों (MP delegates) को समझाया है कि इस पद पर चुने जाने के बाद उनका ध्यान क्या होगा। उन्होंने कहा, “हमारे उदयपुर घोषणापत्र (declaration) के फैसलों को लागू करना और किए गए वादों को पूरा करना मेरी पहली प्राथमिकता होगी। वह घोषणा चार महीने पहले हमारे नेताओं ने काफी विचार-मंथन के बाद की थी।”

कांग्रेस को क्या प्रभावित करता है?

जब संगठनात्मक चुनाव (organisational elections) हो जाएंगे, तो हम समितियों (like committees) की तरह अपनी संवैधानिक प्रक्रियाओं (constitutional processes) को देखेंगे और देखेंगे कि कहां सुधार करना है। हम देखेंगे कि क्या हमारे राजनीतिक ढांचे (political structure) को बदलना है। और, जहां भी मरम्मत की जरूरत होती है, वह करनी पड़ती है। जहां सर्जरी की जरूरत होती है, हमें वह करना पड़ता है। पार्टी को मजबूत करने के लिए हमें जो भी कदम उठाने होंगे, हम अनुभवी नेताओं और विशेषज्ञों (expertise) से सलाह करेंगे।

लंबे समय के बाद कोई गैर-गांधी पार्टी अध्यक्ष होगा, जबकि गांधी परिवार के सदस्य राजनीति में सक्रिय हैं। कैसे काम चलेगा?

गांधी परिवार के मार्गदर्शन (guidance) की जरूरत है। सोनिया गांधी ने लगभग 20 वर्षों तक पार्टी अध्यक्ष के रूप में काम किया। खाद्य सुरक्षा अधिनियम (Food Security Act), मनरेगा, आरटीआई, शिक्षा का अधिकार जैसे उनके नीतिगत फैसले पथप्रदर्शक (pathbreaking) थे। हमें पार्टी को बेहतर बनाने के लिए उनसे फीडबैक, मार्गदर्शन (guidance) की जरूरत है। क्या यह गलत है? राहुल गांधी खुलेआम आरएसएस-भाजपा के खिलाफ लड़ रहे हैं। राहुल के प्रयासों से कांग्रेस ने सात राज्यों में जीत हासिल की थी, हालांकि कुछ में हमने सत्ता गंवाई, क्योंकि हमारे अपने लोगों ने दलबदल किया। महाराष्ट्र, कर्नाटक, एमपी, गोवा, मणिपुर, अरुणाचल को देख लीजिए। उस आदमी के लिए, जो अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करता है और परिणाम देता है, आप यह नहीं कह सकते कि उन्होंने कुछ नहीं किया है। सोनिया गांधी की वजह से कांग्रेस ने दस साल शासन किया, लेकिन गांधी परिवार को कभी भी पीएम पद या मंत्री पद की लालसा नहीं थी। सीडब्ल्यूसी की बैठकों की तरह कांग्रेस के पास खुला मंच है। क्या बीजेपी में चर्चा के लिए ऐसा कुछ है?

कांग्रेस नेता लगातार पार्टी छोड़ रहे हैं। यह आपके लिए कितनी बड़ी चिंता है?

कांग्रेस छोड़ चुके लोगों की जगह नया खून (New blood) आएगा। हमें इसे स्वीकार करना होगा। अगर कुछ अनुभवी नेता वापस आना चाहते हैं, तो उनका फैसला सलाह-मशविरे (consultations) के जरिए किया जाएगा। प्रत्येक राज्य में कुछ समस्या है, और हम चुनाव के बाद फैसला करेंगे।

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