मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) में इस साल जनवरी और अगस्त के बीच संकट में फंसे 1,875 किसानों ने आत्महत्या (end their lives) कर ली। 2021 में इसी अवधि के दौरान (same period) कर्ज में डूबे 1,605 किसानों ने आत्महत्या (suicide) की थी। यह जानकारी राहत और पुनर्वास विभाग (relief and rehabilitation department) के आंकड़ों (data) से मिली है।
आत्महत्या की संख्या (suicide numbers) में यह वृद्धि पिछली महा विकास अघाड़ी सरकार (Maha Vikas Aghadi government) द्वारा किसानों के लिए कई ऋण माफी (loan waivers) और अन्य योजनाओं की घोषणा के बावजूद है। अभी हाल ही में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) द्वारा कर्ज में डूबे लोगों को वित्तीय सहायता (financial support) देकर महाराष्ट्र को किसान आत्महत्या से मुक्त (free of farmer suicides) बनाने का आश्वासन दिया है।
प्रमुख सामाजिक संगठनों (social organisations) और सरकारी एजेंसियों के रिसर्च के अनुसार, उपज की खराब कीमत (Poor price), तनाव और पारिवारिक जिम्मेदारियां, सरकारी उदासीनता (apathy), खराब सिंचाई, कर्ज का बोझ, सब्सिडी में भ्रष्टाचार (corruption) और भारी बारिश के कारण उपज अच्छी नहीं रही। ये किसानों के बीच आमत्महत्या के मुख्य कारण (main reasons) हैं।
क्षेत्रवार (Region-wise) देखें, तो अमरावती (Amravati) में 2022 (725) और 2021 (662) में सबसे अधिक किसान आत्महत्याएं (highest number of farmer suicide)) हुईं। इन दो वर्षों में 661 और 532 मामलों के साथ औरंगाबाद (Aurangabad) दूसरे नंबर पर रहा, जबकि नासिक (Nashik) 252 और 201 के साथ तीसरे स्थान पर रहा। नागपुर (Nagpur) क्षेत्र में 2022 में 225 और 2021 में 199 और पुणे (Pune) में 12 और 11 मामले सामने आए। कोंकण (Konkan )क्षेत्र में इन दो वर्षों में एक भी किसान आत्महत्या नहीं हुई।
2022 में 1,875 आत्महत्याओं(suicides) में से 981 किसान सरकारी नियमों (government rules) के अनुसार वित्तीय सहायता (financial assistance) के लायक (eligible) थे, जबकि 439 लायक नहीं (not eligible) थे और 455 जांच के दायरे (under scrutiny) में थे। फिलहाल विभाग मृतक परिवार (deceased family) के परिजनों को एक लाख रुपये का भुगतान कर रहा है। सरकारी रिकॉर्ड (Official records) से पता चलता है कि इस साल यवतमाल (Yavatmal) जिले में 188 किसानों ने अपनी जान दे दी। हालांकि, किसान नेता किशोर तिवारी की मानें तो यह संख्या 226 है। उन्होंने कहा कि 2021 में 2,743 किसानों ने आत्महत्या (committed suicide) की थी।
तिवारी ने आरोप लगाया कि शिंदे ने जहां मदद का आश्वासन (assured assistance) दिया था, वहीं जमीनी स्तर पर सरकारी तंत्र (government machinery) अभी तक किसानों तक नहीं पहुंचा है।