अहमदाबादः इस समय मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस ड्रग बैक्टीरिया को लेकर भारी चिंता जताई जा रही है। नेशनल और इंटरनेशनल लेवर पर तेजी से बढ़ रहे एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस (antibiotic resist) को लेकर मेडिकल वर्ल्ड लगातार आगाह कर रहा है। यह उन्हें मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट बैक्टीरिया के खतरे से निपटने के लिए कम गुंजाइश दे रहा है। ऐसे में आईआईटी गांधीनगर (IIT-Gn) के एक शोधकर्ता (researcher) ने एंटीबायोटिक पॉलिमर विकसित करने का दावा किया है, जो बैक्टीरिया के विकास को रोकने के लिए उपयोग किए जाने वाले रोगाणुरोधी पेप्टाइड्स (antimicrobial peptides) का एक सस्ता विकल्प (alternative) देते हैं।
इस रिसर्च के सिलसिले में ही केमेस्ट्री की विद्वान अंजू त्यागी को इस साल की शुरुआत में थीसीस ‘मेम्ब्रेन-टारगेटिंग मेथैक्रिलामाइड-आधारित एंटीबायोटिक पॉलिमर टू कॉम्बैट ड्रग रेसिस्टेंट बैक्टीरिया: सिंथेसिस, कैरेक्टराइजेशन एंड इन्वेस्टिगेशन ऑफ बायोलॉजिकल प्रॉपर्टीज’ के लिए पीएचडी से सम्मानित किया गया था। त्यागी ने बताया कि ये पॉलिमर दरअसल इलाज के दौरान रोगाणुरोधी पेप्टाइड्स (antimicrobial pepti- AMP) की नकल करते हैं, जो इसके लिए दवा का रास्ता भी खोल देते हैं।
त्यागी ने कहा कि एएमपी दरअसल जांच के तहत एक संभावित विकल्प हैं, लेकिन रासायनिक और दवा अस्थिरता (instability) और उच्च विनिर्माण लागत (high manufacturing cost) जैसी चुनौतियां हैं जो इस पर आगे बढ़ने से रोकती हैं। शोध के दौरान विकसित पॉलिमर उस मैकेनिज्म की नकल करते हैं जो बैक्टीरिया के विकास को रोकता है। रिसर्च के लिए उन्होंने मनुष्यों में दो सबसे अधिक प्रचलित बैक्टीरिया – ई. कोली और एस. ऑरियस को लिया, जो स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं का कारण बनते हैं।
बैक्टीरिया 30 दिनों के लिए पॉलिमर के संपर्क में थे। संतोषजनक सीमा के भीतर पाए गए न्यूनतम अवरोधक एकाग्रता (MIC) के साथ परिणाम उत्साहजनक हैं। एमआईसी बैक्टीरिया के विकास को रोकने या मारने के लिए एक रोगाणुरोधी पॉलिमर (antimicrobial polymer) की न्यूनतम एकाग्रता (concentration) को बताता है।” अंजू त्यागी ने कहा, “पॉलिमर कोशिका प्रसार को रोकने के लिए साइटोप्लाज्मिक झिल्ली (cytoplasmic membrane) को बाधित करके बैक्टीरिया की कोशिकाओं (bacterial cells) को मारते हैं। पॉलिमर के लिए कोई महत्वपूर्ण रेसिस्टेंस नहीं देखा गया।” शहर के विशेषज्ञों ने कहा कि रोगाणुरोधी प्रतिरोध (antimicrobial resistance) पहले से ही एक प्रमुख मुद्दा है। केडी अस्पताल के सीओओ डॉ पार्थ देसाई ने कहा कि यह घटना दुनिया भर में न केवल मृत्यु दर का कारण बन रही है, बल्कि ठीक होते ही दवा रोक देने से सीरियस मुद्दा बनता जा रहा है।
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