“थ्रस्ट नहीं मिला”, “गिर रहे हैं”, “इस संचार के दौरान सिग्नल बहुत कमजोर है”, “मेडे!” — ये वो आखिरी संदेश थे जो एयर इंडिया फ्लाइट AI171 के पायलट ने अहमदाबाद एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को भेजे, इसके कुछ ही पलों बाद विमान एक मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल पर गिरकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
यह हादसा गुरुवार दोपहर 1:37 बजे हुआ, जब लंदन के गैटविक एयरपोर्ट के लिए रवाना हुआ बोइंग 787 ड्रीमलाइनर टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
इस विमान में कुल 242 लोग सवार थे — 230 यात्री, 10 क्रू मेंबर और 2 पायलट। दुर्घटना में 241 लोगों की मौत हो गई, जबकि एक यात्री, जो ब्रिटेन का भारतीय मूल का नागरिक है, जीवित बचा है और अस्पताल में भर्ती है।
यह हादसा बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के इतिहास का पहला बड़ा जानलेवा क्रैश है, जो 2011 में वाणिज्यिक सेवा में आने के बाद से पहली बार हुआ है। हादसे में मरने वालों की कुल संख्या अब तक 270 पहुंच गई है, जिसमें कुछ ज़मीनी लोग भी शामिल हैं।
नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने शुक्रवार को पुष्टि की कि विमान का ब्लैक बॉक्स 28 घंटे की तलाश के बाद मलबे के पास से बरामद कर लिया गया है। यह डिवाइस विमान के पिछले हिस्से के पास मिला और अब जांच एजेंसियों द्वारा डिकोड किया जा रहा है।
हादसे के बाद नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने घोषणा की है कि एयर इंडिया के सभी बोइंग 787-8 और 787-9 विमानों की विशेष सुरक्षा जांच की जाएगी। DGCA (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) ने ईंधन प्रणाली, इंजन और हाइड्रॉलिक सिस्टम की गहराई से जांच के आदेश दिए हैं, जिसकी रिपोर्ट मांगी गई है।
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि पायलट की ओर से कोई पूर्व चेतावनी नहीं दी गई थी। हवाई अड्डे के सूत्रों के अनुसार, टेकऑफ से पहले रनवे बदलने, थ्रस्ट कम या ज्यादा करने या फ्लैप कॉन्फिगरेशन बदलने जैसी कोई विशेष मांग नहीं की गई थी। मौसम साफ था, दृश्यता ठीक थी, और तापमान भले ही ज्यादा था, पर वह संचालन की सीमा के भीतर था।
एयरपोर्ट के CCTV फुटेज में दिखा कि विमान ने रनवे का असामान्य रूप से लंबा हिस्सा इस्तेमाल किया, जो संकेत देता है कि टेकऑफ के समय उसे अपेक्षित ‘थ्रस्ट’ नहीं मिल सका। आमतौर पर चौड़े बॉडी वाले जेट को 2.5 से 3 किलोमीटर रनवे की जरूरत होती है, लेकिन यह विमान लगभग पूरा 3.5 किलोमीटर रनवे इस्तेमाल कर गया।
जांच टीम से जुड़े एक सूत्र ने बताया, “यह संकेत हो सकता है कि विमान को टेकऑफ के लिए आवश्यक थ्रस्ट नहीं मिला। सटीक जानकारी ब्लैक बॉक्स के विश्लेषण के बाद ही मिलेगी।”
ATC या ग्राउंड स्टाफ को किसी प्रकार की इंजन में खराबी या विमान के झुकाव में असामान्यता नजर नहीं आई। सभी सुरक्षा मानकों का पालन किया गया था।
अब सभी की नजरें ब्लैक बॉक्स से मिलने वाले डाटा पर टिकी हैं, जो बताएगा कि आखिर वह कौन सी तकनीकी या यांत्रिक विफलता थी जिसने 241 लोगों की जान ले ली।
एक हाई-लेवल जांच टीम कई एजेंसियों के साथ मिलकर इस त्रासदी की तह तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।
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