अहमदाबाद: यदि कोई व्यापारी धोखाधड़ी का शिकार हो जाता है, तब भी उसे जीएसटी (GST) से राहत नहीं मिलेगी। गुजरात की एडवांस रूलिंग अथॉरिटी (AAR) ने स्पष्ट किया है कि किसी भी परिस्थिति में वस्तुओं की आपूर्ति पर जीएसटी लागू होगा, भले ही वह लेन-देन धोखाधड़ी का हिस्सा क्यों न हो और भुगतान प्राप्त न हुआ हो।
यह मामला राजकोट स्थित एक सबमर्सिबल पंप निर्माता कंपनी ‘Acube Engitech’ से जुड़ा है। कंपनी ने वर्ष 2023 में 14.51 करोड़ रुपए मूल्य के 5,660 पंप असम के एक समूह को भेजे, जिन्होंने खुद को मटक स्वायत्त परिषद (Matak Autonomous Council) के नाम पर प्रस्तुत किया। बाद में पता चला कि ऑर्डर फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर दिया गया था।
कंपनी ने इस धोखाधड़ी को लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन इसके बावजूद वह यह जानना चाहती थी कि क्या इस तरह की धोखाधड़ी की स्थिति में की गई आपूर्ति को जीएसटी के दायरे में माना जाएगा। इस संबंध में कंपनी ने गुजरात जीएसटी AAR से अग्रिम निर्णय (Advance Ruling) की मांग की थी।
AAR ने अपने आदेश में कहा कि यह लेन-देन IGST अधिनियम की धारा 20 और CGST अधिनियम की धारा 12 के तहत “आपूर्ति” की श्रेणी में आता है। AAR ने कहा, “GST अधिनियम, 2017 के अनुसार, कर वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगता है, न कि केवल बिक्री पर।”
संविधान के अनुच्छेद 366 (12A) का हवाला देते हुए अथॉरिटी ने कहा कि “मानव उपभोग के लिए मदिरा की आपूर्ति को छोड़कर, अन्य सभी वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर कर लगाया जाता है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कानून में बिक्री (sale) नहीं बल्कि आपूर्ति (supply) शब्द का प्रयोग किया गया है।
कंपनी की यह दलील कि धोखाधड़ी के कारण लेन-देन को आपूर्ति नहीं माना जाना चाहिए, AAR ने खारिज कर दी। आदेश में कहा गया, “धोखाधड़ी किसी अनुबंध को अमान्य कर सकती है, लेकिन इससे वह लेन-देन ‘आपूर्ति’ की परिभाषा से बाहर नहीं हो जाता, जैसा कि धारा 7 में परिभाषित किया गया है।”
यह फैसला व्यापारियों के लिए एक अहम संदेश है — यदि माल की भौतिक आपूर्ति हो चुकी है, तो बाद में उस लेन-देन के धोखाधड़ी साबित होने पर भी जीएसटी दायित्व से छूट नहीं मिलेगी।
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